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मोदी है तो मुमकिन हैः राज्य सभा में बीजेपी नीत एनडीए बहुमत से सिर्फ 6 सीट दूर

हाल के दिनों में राजनीति ने जिस तेजी से करवट बदली है, उससे लग रहा है कि राज्य सभा में भी बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन अपना काम चलाने लायक बहुमत तो आने वाले कुछ दिनों में ही हासिल कर लेगा.

Updated on: 02 Jul 2019, 07:53 AM

highlights

  • हाल ही में टीडीपी के 4 और इनेलो के एक राज्यसभा सांसद बीजेपी में शामिल हुए.
  • फिलहाल भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 75 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है.
  • मोदी 2.0 सरकार में राज्य सभा को लेकर बीजेपी है संख्याबल के आधार पर आश्वस्त

नई दिल्ली.:

नरेंद्र मोदी को दोबारा मिले प्रचंड बहुमत से यह तो तय हो गया है कि आने वाले पांच साल देश की दशा-दिशा तय करने वाले होंगे. हालांकि बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन को राज्य सभा में बहुमत के लिए अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा. यह अलग बात है कि हाल के दिनों में राजनीति ने जिस तेजी से करवट बदली है, उससे लग रहा है कि राज्य सभा में भी बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन अपना काम चलाने लायक बहुमत तो आने वाले कुछ दिनों में ही हासिल कर लेगा. अगर गणित की बात करें तो इसके बाद बीजेपी हद से हद बहुमत से सिर्फ 6 सीट ही दूर होगी.

राज्य सभा की गणित जा रही फेवर में
गौरतलब है कि बीजेपी के लिए एक बड़ी राहत बनकर आए हैं तेलुगू देशम पार्टी के 4 सांसद. राज्य सभा में कुल जमा छह सांसदों वाली टीडीपी की इस टूट से बीजेपी को बड़ा फायदा मिलेगा. इसके अलावा इंडियन नेशनल लोक दल के एक सांसद के भी बीजेपी से जुड़ जाने से एनडीए को राज्यसभा में बड़ी बढ़त मिली है. इसके अलावा 4 और सांसद 5 जुलाई तक एनडीए का हिस्सा बनने वाले हैं. ऐसा होने पर सत्ताधारी गठबंधन बहुमत के काफी करीब होगा. राज्य सभा में इस संख्या बल के साथ एनडीए कई अहम विधेयकों को उच्च सदन में पारित करा सकेगा.

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बहुमत से 6 सांसद दूर
राज्य सभा की गणित के मुताबिक 235 सदस्यों वाले उच्च सदन में एनडीए के 111 राज्यसभा सांसद हैं. हाल-फिलहाल 10 सीटें खाली हैं, जिनमें से 4 सांसद 5 जुलाई तक एनडीए के चुनकर आने की संभावना है. इसके साथ ही यह आंकड़ा 115 हो जाएगा. कुल 241 सदस्यों की संख्या में 115 सांसदों का आंकड़े का अर्थ है कि एनडीए के पास बहुमत से महज 6 सांसद कम रहेंगे. यदि राज्यसभा में कुल 245 मेंबर हो जाते हैं, तो फिर एनडीए को अपने दम पर 123 सांसदों की जरूरत होगी.

टीआरएस, बीजेडी और वायएसआर कांग्रेस आएगी साथ
टीआरएस, बीजेडी और वायएसआरसीपी जैसी गैर-यूपीए पार्टियां फिलहाल तटस्थ हैं, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि उक्त तीनों दल भी अंततः एनडीए को किसी मसले पर समर्थन देने में पीछे नहीं रहेंगे. यही वजह है कि सदन में बीजेपी के फ्लोर मैनेजर्स को भरोसा है कि किसी भी विधेयक को पारित कराने में सदस्यों की कमी आड़े नहीं आने वाली. वायएसआर के फिलहाल 2 सदस्य हैं. बीजेडी के 7 सदस्य हो जाएंगे. फिलहाल इनके 5 सांसद हैं.

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5 जुलाई को 6 सीटों पर चुनाव
राज्यसभा की 6 सीटों पर 5 जुलाई को चुनाव होना है. इनमें से एक पर बीजेपी की सहयोगी एलजेपी के मुखिया राम विलास पासवान निर्विरोध चुने जा चुके हैं. इसके अलावा गुजरात की दो सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही हैं. इसेक पीछे सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला एक बड़ी भूमिका निभाएगा. ओडिशा में भी तीन सीटों पर राज्य सभा चुनाव होने हैं. इनमें से एक बीजेपी और दो बीजेडी के हिस्से जा सकती हैं.

18 जुलाई को तमिलनाडु से 6 सांसद
18 तारीख को तमिलनाडु की 6 सीटों पर चुनाव होने हैं. इन सीटों पर सांसदों का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. फिलहाल एआईएडीएमके के पास इनमें से 4 सीटें हैं, जबकि डीएमके और सीपीआई के पास एक-एक सीट है. इस बार डीएमके के खाते में तीन और एआईएडीएमके के खाते में तीन सीटें जाने की उम्मीद है. हालांकि तमिलनाडु की सीटें राज्यसभा के गणित पर कोई बड़ा असर नहीं डालेंगी.

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तीन तलाक पर फंसा पेंच ऐसे हटाएगा एनडीए
जनता दल यूनाइटेड, बीजू जनता दल और टीआरएस तीन तलाक के मसले पर बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन के साथ नहीं हैं. ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि तीन तलाक पर वोटिंग के दिन तीनों दलों के सांसद राज्यसभा से वॉक आउट कर जाएंगे. इस तरह से सदस्य संख्या कम हो जाने से एनडीए को तीन तलाक बिल पास कराने के लिए अपेक्षित संख्या जुटाने में कोई खास दिक्कत नहीं आएगी. इस कारण से भी बीजेपी के फ्लोर मैनेजर आश्वस्त हैं कि इस बार तीन तलाक बिल राज्य सभा में भी पास हो ही जाएगा.

अभी यह है राज्य सभा की गणित
फिलहाल भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 75 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस 13-13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं. इस गणित के साथ, जो आने वाले दिनों में बीजेपी के पक्ष में और बढ़ेंगी. अब विपक्ष के सामने बड़ी मुश्किल होगी क्योंकि अब किसी विधेयक को शायद ही वह रुकवा पाए या फिर संशोधन के लिए भेज पाए. इस तरह से बीजेपी राज्य सभा को लेकर काफी आश्वस्त है.