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In Pics:- उरी सेना कैंप में आतंकी हमले की पूरी कहानी और आतंकियों के नापाक़ मंसूबे

आंतकवादी पाक कब्ज़े वाले कश्मीर से झेलम नदी के रास्ते भारत में घुसे। आतंकियों ने सुबह करीब चार बजे उरी सेक्टर में बटालियन मुख्यालय में सोते हुए निहत्थे जवानों को निशाना बनाया।

Updated on: 19 Sep 2016, 02:26 PM

New Delhi:

रविवार को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में आर्मी कैंप में हुए आतंकी हमले में अब तक करीब 17 जवान शहीद हो चुके हैं। चारों आतंकियों को बीएसएफ ने ढेर कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेताओं के अलावा पूरे देश के लोगों के ने इस हमले की कड़ी निंदा की। शिवसेना का कहना है कि इस हमले में पाकिस्तान का हाथ है। हमलावर कैसे आए, कैसे उन्होंने इस दर्दनाक हमले को अंजाम दिया, पढ़े पूरी कहानी-

 

पर्याप्त गोला-बारूद से लैस थे आतंकवादी
पर्याप्त गोला-बारूद से लैस थे आतंकवादी

झेलम नदी के रास्ते घुसे आतंकी-
सूत्रों से ख़बर है कि, आंतकवादी पाक कब्ज़े वाले कश्मीर से झेलम नदी के रास्ते भारत में घुसे। आतंकियों ने सुबह करीब चार बजे उरी सेक्टर में बटालियन मुख्यालय में सोते हुए निहत्थे जवानों को निशाना बनाया। आतंकियों अपने साथ भारी संख्या में गोला-बारूद और स्वचालित हथियार लेकर आए थे।

फेंसिंग काटकर घुसे थे आतंकी
फेंसिंग काटकर घुसे थे आतंकी

बाड़ काटकर की घुसपैठ-
उरी बेस कैंप में घुसे आतंकियों ने करीब 24 घंटे पहले ही घाटी में घुसपैठ कर दी। आतंकियों ने 10वीं इन्फ्रेंट्री ब्रिगेड हेडक्वार्टर की पिछली दीवार से सटे नाले के रास्ते आर्मी कैंप के अंदर दाखिल हुए। कैंप के तीन तरफ से नाला है, जिसे पार कर आतंकी यहां पहुंचे और फिर दीवार के ऊपर लगी कटीली तारों के बाड़ काटकर अंदर घुसे। इसके बाद आतंकी दो हिस्सों में बंट गए।

ड्यूटी चेंज कर रहे थे सिपाही
ड्यूटी चेंज कर रहे थे सिपाही

सबसे पहले ग्रेनेड से हमला-
दो ग्रुपों में बंटने के बाद आंतकियों के पहले समूह ने बायीं तरफ से सेना के कैंप पर ग्रेनेड फेंकना शुरु कर दिया और जवानो पर गोलियां चलाई। जबकि दूसरे समूह ने अधिकारियों के कैंपों पर हमला कर दिया, यहां ग्रेनेड से हमला कर गोलीबारी की। एडमिन वाले हिस्से में जिस वक्त हमला हुआ उस वक्त जवान ड्यूटी चेंजकर सो रहे थे। आतंकियों ने 17 ग्रेनेड फेंके और फिर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ग्रेनेडों और लगातार फायरिंग से कैंप के तम्बुओं में आग लग गई और ज्यादातर जवान आग की चपेट में आ गए। 17 में से 14 जवान आग से झुलसने की वजह से शहीद हुए। जो जवान जगे हुए थे वो सुबह की ड्यूटी तैयारियां कर रहे थे जबकि कुछ जवान टेन्टों में सो रहे थे।

पैरा कमांडोज़ ने आतंकियों ढेर किया
पैरा कमांडोज़ ने आतंकियों ढेर किया

पैरा कमांडोज़ की एंट्री -
हमले के बाद जवान आग की लपटों और धुएं में घिर गए जिससे उन पर काबू पाने में दिक्कत हो रही थी। इसलिए हेलिकॉप्टर के ज़रिए पैरा कमांडो को मोर्चा संभालने के लिए वहां उतारा गया। कमांडो ने करीब तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद चारों आतंकियों को मार गिराया।

टेंटों में आग लगने से हुआ सबसे ज़्यादा नुकसान
टेंटों में आग लगने से हुआ सबसे ज़्यादा नुकसान

इस वज़ह से हुआ ज़्यादा नुकसान -
कुछ जवान सुबह की ड्यूटी में तेल के टैंकर से गैलन में डीजल भर रहे थे। इस वक्त ये सैनिक बिल्कुल निहत्थे थे और फिर आतंकियों ने इसी समय जो ग्रेनेड फेंके उससे बैरक और टेंट के डेढ़ सौ मीटर एरिए में आग लग गई। आसमान में उठता ये काला धुआं उसी का बताया जा रहा है। इसी आग में 13 जवान जिंदा जल गए।

बड़े हमले की थी प्लानिंग
बड़े हमले की थी प्लानिंग

ये था पूरा प्लान-
आतंकियों के पास मिले नक्शे के मुताबिक वो पूरी प्लानिंग के साथ इस इलाक़े में घुसे थे। उनकी मंशा बिना हथियार वाले जवानों को ही निशाना बनाने की थी। सोए हुए जवानों के बाद ए़डमिन अधिकारी ब्लॉक के पास के अस्पताल को आतंकी निशाना बनाना चाहते थे। उनका प्लान अफसर मेंस में घुस कर तबाही मचाने का था।