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मोदी-शाह की मंशा पर पुलिस अफसर चीन सीमा पर बसे गांवों में गुजारेंगे रात

अब अधीक्षक स्तर के पुलिस अफसर हर महीने चीन (China) की सीमा पर स्थित हिंदुस्तानी गांवों में एक रात अनिवार्य रुप से गुजारेंगे.

Updated on: 06 Feb 2020, 02:00 PM

highlights

  • अब अफसर हर महीने चीन सीमा पर स्थित गांवों में रात गुजारेंगे.
  • इन क्षेत्रों में महीने में एक रात बिताने के फायदे कई हैं.
  • 230 किमी लंबी भारत-चीन सीमा पर कई हिंदुस्तानी गांव बसे हैं.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) द्वारा ली गई आला-पुलिस अफसरों की 'क्लास' रंग लाने लगी है. इसके परिणामस्वरुप अब अधीक्षक स्तर के पुलिस अफसर हर महीने चीन (China) की सीमा पर स्थित हिंदुस्तानी गांवों में एक रात अनिवार्य रुप से गुजारेंगे. इस बाबत बीते सप्ताह हिमाचल प्रदेश (Himanchal Pradesh) पुलिस महानिदेशालय ने आदेश जारी कर दिया है. आदेश में जिला किन्नौर और लाहौल-स्पीती का जिक्र है. इन्हीं दोनों जिलों की करीब 230 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा पर कई हिंदुस्तानी गांव बसे हैं.

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मोदी-शाह के निर्देश पर योजना शुरू
हिमाचल प्रदेश पुलिस महानिदेशक सीताराम मरडी द्वारा जारी आदेश मिलते ही, लाहौल-स्पीती और किन्नौर के जिला पुलिस अधीक्षक अपना यात्रा टाइम-टेबिल भेजने की कवायद में जुटे हैं. मुख्यालय को भेजे जाने वाले जवाब में दोनों जिलों के पुलिस अधीक्षकों को बताना है कि वो किस महीने की किस तारीख में जिले के किस गांव में रात गुजारेंगे? साथ ही इन दुर्गम गांवों में सुरक्षित पहुंचने का इंतजाम पुलिस अधीक्षक कैसे और क्या करेंगे? किन्नौर के पुलिस अधीक्षक साजू राम राणा ने कहा, 'मैं इलाकाई गांव में जाने की तैयारी कर रहा हूं. टूर प्लान एक दो दिन में पुलिस महानिदेशालय को भेज दूंगा.'

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चीन से जुड़ी सीमा संवेदनशील
उन्होंने आगे कहा, 'किन्नौर जिले की चीन सीमांत रेखा करीब 120 से लेकर 130 किलोमीटर है. किन्नौर जिले की सीमा-रेखा में ही वह स्थान है जहां से भारत-चीन के व्यापारी सामान लाने-ले जाने के लिए आवागमन करते हैं. हालांकि उस जगह पर जांच भारत-तिब्बत सीमा पुलिस करती है.' लाहौल स्पीती के पुलिस अधीक्षक राजेश धरमनी ने कहा, 'चीन से जुड़ी मेरे जिले की सीमा करीब 110 किलोमीटर लंबी है. यह ग्यू गांव से शुरू होकर समदो तक है. समदो से आगे किन्नौर जिले की सीमा शुरू हो जाती है. मैं तैयारी में जुटा हूं कि गांव वालों के बीच पहुंचकर उन्हें अपनेपन का अहसास करा सकूं. टूर प्लान जल्दी ही पुलिस महानिदेशालय भेज रहा हूं.'

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खुफिया सुरक्षा कवाय़द
दरअसल इस बेहद सतर्क और खुफिया सुरक्षा कवायद की शुरुआत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की दूरदृष्टि मानी जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी की सलाह थी कि भले ही चीन सीमा पर हिंदुस्तानी हिस्से की रखवाली भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)-सेना करती हों. इसके बाद भी चीन सीमा पर स्थित हिंदुस्तानी राज्यों की पुलिस को भी इसमें भागीदारी निभानी चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने यह मंशा बीते साल दिसंबर माह की शुरुआत में पुणे में आयोजित पुलिस कॉन्फ्रेंस में जाहिर की थी. तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक समेत तमाम राज्य के पुलिस मुखिया उपस्थित थे.

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एक तीर से कई निशाने सधेंगे
कॉन्फ्रेंस में मौजूद पुलिस महानिदेशक स्तर के एक अधिकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री का आइडिया अच्छा है. इससे पुलिस का भी मनोबल बढ़ेगा कि चलो देश या राज्य में किसी ने तो उनके काम को इस लायक समझा कि राज्य पुलिस भी देश के सीमांत इलाकों अपना खुफिया नेटवर्क बना पाने और सुरक्षा मुहैया कर पाने में सक्षम है. एक पूर्व पुलिस महानिदेशक के मुताबिक इस पूरी कवायद से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने एक तीर से कई निशाने देशहित में साध लिए.

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कई फायदे होंगे इस कवायद से
पुलिस अफसरों द्वारा इन क्षेत्रों में महीने में एक रात बिताने के फायदे कई हैं. ग्रामीण स्तर पर पुलिस का खुफिया नेटवर्क बढ़ेगा. चीन सीमा पर मौजूद भारतीय गांवों में रहने वाले लोगों को लगेगा कि वे हिंदुस्तान की मुख्य धारा से अलग-थलग नहीं हैं. जन-मानस के बीच पुलिस की सकारात्मक छवि बनेगी. पुलिस, जनता का विश्वास आसानी से हासिल कर लेगी जो कि समाज, पुलिसिंग और सुरक्षा व खुफिया तंत्र तैयार करने के नजरिए से बेहद जरुरी है.