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कांग्रेस ने दसॉल्ट एविएशन के सीईओ का VIDEO ट्वीट कर राफेल डील पर फिर उठाए सवाल

कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल पर दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के सीईओ का वीडियो ट्वीट किया है. जिसमें यह दिखाया गया है कि राफेल डील पहले हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) को मिला था.

Updated on: 24 Sep 2018, 11:54 PM

नई दिल्ली:

राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद के बयान के बाद मचे बवाल के बीच कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने आरोप को सही साबित करने के लिए एक साक्ष्य प्रस्तुत किया है. कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल पर दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के सीईओ का वीडियो ट्वीट किया है. जिसमें यह दिखाया गया है कि राफेल डील पहले हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) को मिला था. बता दें कि दसॉल्ट कंपनी राफेल विमान बनाती है और फिलहाल अनिल अंबानी के साथ मिलकर भारत के लिए 36 राफेल बनाने का करार भी इनके साथ ही हुआ है.

इस वीडियो में दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रेपियर हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ समझौते की बात कर रहे हैं. हालांकि बाद में एचएएल को डिल में जगह नहीं मिली. जबकि वीडियो में समझौते पर जल्द मुहर लगने की उम्मीद जतायी गई है. यह वीडियो प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस दौरे से से 17 दिन पहले का बताया जा रहा है. इसमें वीडियो की तारीख़ 25 मार्च 2015 बताया गया है.

इससे पहले राफेल सौदे में कथित घपले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज करते हुए कांग्रेस सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) पहुंची. कांग्रेस ने अयोग से जांच और प्राथमिकी (एफआईआर) के साथ-साथ सौदे से संबंधित जरूरी दस्तावेजों को जब्त करने की मांग की. कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे से राजकोष को भारी घाटा पहुंचा है.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीवीसी के.वी. चौधरी से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.

ज्ञापन में दावे के साथ कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित सौदा करीब 300 फीसदी की बढ़ी कीमत पर किया गया है और सौदे में रक्षा प्रबंध नीति (डीपीपी) का उल्लंघन किया गया है.

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले के विशेष और फॉरेंसिक ऑडिट के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से संपर्क करने के बाद सीवीसी से मुलाकात का कदम उठाया है.

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने सीवीसी से मुलाकात के बाद कहा, 'यह सदी का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और हमने सीवीसी से इस पर संज्ञान लेने और जो गुनाहगार हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है.'

उन्होंने कहा, 'यह सीवीसी का कर्तव्य है कि वह सभी प्रासंगिक दस्तावेजों को जब्त करे. अपराध छुपाने के लिए इन दस्तावेजों को नष्ट किया जा सकता है.'

पार्टी ने ज्ञापन में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद द्वारा किए खुलासे का भी हवाला दिया, जिसमें ओलांद ने कहा था कि उन्होंने भारत में फैले भ्रष्टाचार के जाल का पर्दाफाश किया है.

कांग्रेस ने कहा, "न तो फ्रांस सरकार ने और न ही रक्षा मंत्रालय व प्रधानमंत्री समेत भारत की सरकार ने ओलांद के दावे के सच का खंडन किया है. खंडन करने का कोई आधार उन्हें मिल नहीं रहा है. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति आखिर झूठ क्यों बोलेंगे और किस मकसद से बोलेंगे? इसमें उनका क्या निजी स्वार्थ हो सकता है?"

कांग्रेस ने ओलांद के एक फ्रेंच वेबसाइट को दिए साक्षात्कार का हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत ने ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के लिए रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया और फ्रांस की सरकार के पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

पार्टी ने ज्ञापन में समाचार क्लिपिंग की एक प्रति संलग्न करते हुए कहा, 'वास्तव में, फ्रांस के वर्तमान विदेश मंत्री जीन-बैप्टिस्ट लेमोने ने फ्रांस के रेडियो जे को दिए एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ओलांद से रिलांयस को 30 हजार करोड़ रुपये देने को कहा था.'

उन्होंने कहा, 'भ्रष्टाचार के धागे दिन ब दिन खुलते जा रहे हैं और रक्षा मंत्रालय की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है.'

पार्टी ने सीवीसी को सौंपे ज्ञापन में कहा, 'भ्रष्टाचार की बू और राफेल सौदे में अंतरंग मित्रता घृणास्पद है. इसमें आपके तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है.'

पार्टी ने मोदी सरकार को 41,205 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का जिम्मेदार ठहराया.

कांग्रेस ने गोपनीयता का हवाला देते हुए 36 विमानों की खरीद कीमत का खुलासा न करने के लिए मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर भी निशाना साधा.

पार्टी ने कहा, "खरीद कीमत का खुलासा न करने के लिए मोदी और निर्मला द्वारा बुनी गई पूरी कहानी से एक बड़े घोटाले की बू आ रही है."

कांग्रेस ने कहा, "तथ्य को छिपाने का घटिया तरीका, आत्मघाती दावे और जानबूझकर बोले गए झूठ ने घोटाले का भंड़ाफोड़ किया है, जिसकी जांच की जरूरत है."

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मुख्य विपक्षी पार्टी ने सीवीसी प्रमुख से रिकॉर्ड की जांच का आग्रह करते हुए कहा, "सरकार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच सीवीसी से कराने और भारी राजकोषीय घाटे के मद्देनजर 36 विमानों की कीमत का खुलासा करने के लिए बाध्य है."