logo-image

हमारे सैनिक और वैज्ञानिक हर चुनौती से निपटने में सक्षम, DRDO में बोले राजनाथ सिंह

रक्षामंत्री ने डीआरडीई-ग्वालियर द्वारा विकसित उत्पादों की प्रदर्शनी का मुआयना किया और प्रत्येक उत्पाद की कार्यप्रणाली के बारे में वैज्ञानिकों से जानकारी ली.

Updated on: 21 Sep 2019, 08:11 AM

ग्वालियर:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि सुरक्षा बल और वैज्ञानिक किसी भी आतंकी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं. रक्षा अनुसंधान तथा विकास स्थापना (डीआरडीई) ग्वालियर आए रक्षामंत्री ने शुक्रवार को कहा कि यहां विकसित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के निरीक्षण के उपरांत मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यहां के वैज्ञानिकों का पिछले 45 वर्ष का श्रम इसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर ले गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जैव-रसायन आतंकवाद की संभावना से कभी इनकार नहीं किया जा सकता. डीआरडीई, ग्वालियर बायो-डिफेंस नामक एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है, जिसका उद्देश्य देश की सशस्त्र सेनाओं एवं आम आबादी की रक्षा करना है. उन्होंने कहा कि डीआरडीई, ग्वालियर इस दिशा में पूरी तरह सक्षम एवं तैयार है. डीआरडीई द्वारा जैव रसायन अभिकारकों की पहचान और बचाव में विकसित किए गए उत्पादों को देखकर मैं आश्वस्त हूं कि हम किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं.

यह भी पढ़ेंः बीजेपी राज में बने MP के सबसे आधुनिक हॉस्पिटल का सीएम कमलनाथ करेंगे उद्घाटन

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों को भविष्य के रासायनिक-जैविक हमलों के खिलाफ पूरी तरह से कार्रवाई करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'रासायनिक-जैविक हथियारों का इस्तेमाल जीवन, स्वास्थ्य व संपत्ति व वाणिज्य को खतरे में डाल सकता है, जिससे इससे उबरने में लंबा समय लग सकता है. कई क्षेत्रों में जहां हम अपनी सेना तैनात करते हैं, संभावित विरोधी इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस चुनौती से पार पाने के लिए हमारे बलों को उचित तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और प्रभावी संचालन के लिए लैस किया जाना चाहिए, जिससे वे रासायनिक-जैविक हमलों का निर्णायक तौर पर सामना कर सकें.'

उन्होंने कहा, 'मुझे जानकर खुशी है कि डीआरडीई ने विषैले एजेंट की पहचान, सुरक्षा व शुद्धिकरण के लिए कई प्रौद्योगिकी विकसित की है. रक्षा उपकरणों के उत्पादन के लिए व्यापक औद्योगिक आधार स्थापित किया गया है, जिसका गुणवत्ता नियंत्रण डीआरडीई द्वारा किया गया है. रासायनिक-जैविक एजेंट की जल्द पहचान उनसे रक्षा के लिए जरूरी है.' इससे पहले डीआरडीई के अध्यक्ष, महानिदेशक (जैवविज्ञान) एवं शीर्षस्थ वैज्ञानिकों के साथ समीक्षा बैठक में रक्षामंत्री को ग्वालियर में चल रहे अनुसंधान परियोजनाओं की जानकारी दी गई. इसके तुरंत बाद रक्षामंत्री ने डीआरडीई-ग्वालियर द्वारा विकसित उत्पादों की प्रदर्शनी का मुआयना किया तथा प्रत्येक उत्पाद की कार्यप्रणाली के बारे में वैज्ञानिकों से जानकारी ली.

यह भी पढ़ेंः सियासत भले ही लड़ाए, मगर यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर बनाएंगे गाय का अस्पताल

इस अवसर पर डीआरडीई के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए सचिव, रक्षा अनुसंधान तथा अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ.जी.सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षामंत्री ने कल ही एलसीए में उड़ान भरी है और आज वह डीआरडीई की एक जैवविज्ञान प्रयोगशाला में आए हैं. जैवविज्ञान प्रयोगशाला होने के नाते इस प्रयोगशाला का सेनाओं के साथ-साथ नागरिक क्षेत्र में भी सीधा योगदान है. इसके पूर्व अपने उद्बोधन में महानिदेशक (जैवविज्ञान) डॉ.ए.के. सिंह ने कहा कि देश की जीडीपी में रसायन उद्योग की भागीदारी लगभग दो प्रतिशत है एवं डीआरडीई के कार्यकलापों का इस उद्योग पर सीधा असर है. इस तरह डीआरडीई देश की जीडीपी बढ़ाने में सक्रिय भागीदार है.