Assembly Elections: जातीय और धार्मिक गोलबंदी तोड़ने भाजपा की नई रणनीति
विरोधी दल लोगों को टुकड़ों में बांटने की राजनीति कर रहे हैं, जबकि भाजपा का मूल मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' है.
highlights
- अगले साल आसन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति
- विरोधी दल जातीय और धार्मिक आधार पर मोदी सरकार को घेरेंगे
- बीजेपी ने इसकी काट के लिए बनाया विकासपरक एक्शन प्लान
नई दिल्ली:
अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को लेकर भाजपा के विरोधी दल भी जोर-शोर से तैयारी में जुटे हुए हैं. भाजपा (BJP) भले ही लगातार चुनाव जीतने का दावा करते हुए इन राज्यों में भी विरोधी दलों को हराने की बात कह रही हो, लेकिन विरोधी दल जातीय और धार्मिक समीकरणों के सहारे भाजपा को घेरने और चुनावी मैदान में हराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. विरोधी दलों की इस रणनीति पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि विरोधी दल लोगों को टुकड़ों में बांटने की राजनीति कर रहे हैं, जबकि भाजपा का मूल मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' है.
उत्तर प्रदेश बनेगा नया रण
दरअसल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ओबीसी मतदाताओं को लुभाने के लिए जातीय जनगणना नहीं कराने के फैसले को लेकर भाजपा पर निशाना साध रही है, तो वहीं सपा मुखिया के साथ-साथ असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिमों की सुरक्षा और हितों का मुद्दा उठाकर भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. उत्तराखंड में हरीश रावत मुसलमानों के साथ-साथ दलितों को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं. अन्य चुनावी राज्यों में भी विरोधी दल भाजपा को घेरने के लिए इसी तरह की गोलबंदी करने का प्रयास कर रहे हैं. विरोधी दलों की इस जातीय और धार्मिक गोलबंदी को तोड़ने के लिए भाजपा ने केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं का सहारा लेने की रणनीति बनाई है.
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बीजेपी कोरोना काल के गिनाएगी काम
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बातचीत करते हुए बताया कि पार्टी कार्यकर्ता मोदी सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं से लाभान्वित हुए परिवारों के लोगों से संपर्क साधेगी. इस रणनीति के तहत आने वाले दिनों में भाजपा के राष्ट्रीय स्तर से लेकर बूथ स्तर तक के नेता और कार्यकर्ता योजनाओं से लाभान्वित हुए तमाम लोगों तक जाकर उन्हें अपने पक्ष में लाने की कोशिश करेंगे, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों. कोरोना काल में गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज देने के लिए पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की थी और इसके माध्यम से देश के 80 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन प्रदान किया गया. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अब तक देश के 11.41 करोड़ किसान परिवारों के खाते में कुल 1.6 लाख करोड़ रुपये की राशि पहुंच चुकी है.
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इन योजनाओं से करेगी विरोधी चालों की काट
भाजपा का मानना है कि ऊपर की दोनों योजनाओं के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना, पीएम श्रम योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम मोदी हेल्थ आईडी कार्ड, ग्रामीण कौशल्य योजना, आयुष्मान भारत, उज्जवला, जनधन, सौभाग्य, स्वामित्व, अन्त्योदय अन्न योजना, रेहड़ी पटरी वालों के लिए स्वनिधि योजना जैसी अनगिनत चल रही योजनाओं का लाभ देश के करोड़ों लोगों तक पहुंचा है और इसमें हर जाति एवं धर्म के लोग शामिल हैं. भाजपा सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होने वाले इन तमाम लोगों तक पहुंचकर जाति और घर्म से परे जाकर अपने लिए एक नया वोट बैंक बनाने और उसे मजबूत करने की कोशिश करेगी, ताकि जाति और धर्म के आधार पर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रहे विरोधी दलों की चाल को नाकाम किया जा सके.
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