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प्रधानमंत्री आवास पर अहम बैठक, गुजरात चुनाव पर मंथन

प्रधानमंत्री आवास पर चल रही बैठक में नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद हैं. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक का एजेंडा आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव है. माना जा रहा है दीवाली के बाद चुनाव आयोग गुजरात चुनाव का भी ऐलान कर सकता है. इसी को लेकर पार्टी की चुनावी तैयारियों की प्रधानमंत्री समीक्षा कर रहे हैं.

Updated on: 15 Oct 2022, 09:01 AM

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. जल्द ही गुजरात चुनावों की घोषणा भी होने वाली है. ऐसे में चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ एक अहम बैठक हो रही है. इस बैठक में गुजरात भाजपा के नेता भी मौजूद हैं.

प्रधानमंत्री आवास पर चल रही बैठक में नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद हैं. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक का एजेंडा आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव है. माना जा रहा है दीवाली के बाद चुनाव आयोग गुजरात चुनाव का भी ऐलान कर सकता है. इसी को लेकर पार्टी की चुनावी तैयारियों की प्रधानमंत्री समीक्षा कर रहे हैं.

गुजरात में 182 विधानसभा सीटें हैं. ऐसे में भाजपा ने वहां 150 पार का लक्ष्य रखा है. जानकारी के मुताबिक गुजरात भाजपा का पूरा प्रचार का प्रारूप कैसा होगा, किस तरह से रैलियां होंगी. इन सब पर विस्तार से चर्चा होगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री की राज्य में कितनी रैलियां होंगी, किन केंद्रीय नेताओं को क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, इन मुद्दों भी अहम चर्चा हो सकती है.

वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी गुजरात में भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकती है. आप नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं. उनकी रैलियों में भी अच्छी खासी भीड़ जुट रही है. ऐसे में भाजपा इसकी काट को लेकर भी रणनीति बनाने में जुटी है. दरअसल भाजपा को लग रहा है कि गुजरात में कांग्रेस का ढीला प्रचार आप को उभरने का मौका दे सकता है

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 49 प्रतिशत वोट शेयर और 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी वही कांग्रेस को 41 प्रतिशत वोट के साथ 77 सीटें मिली थी. बीजेपी को अपना किला बचाने की चुनौती होगी क्योंकि बीजेपी पिछले 27 सालों से यहां सरकार में है.