RTI कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला, अब इन संस्थाओं को भी देनी होगी जानकारी

कोर्ट ने ये फैसला कुछ कॉलेजों या कॉलेज चलाने वाले NGO की याचिका पर दिया है.

कोर्ट ने ये फैसला कुछ कॉलेजों या कॉलेज चलाने वाले NGO की याचिका पर दिया है.

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Ravindra Singh
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि ऐसे स्कूलों, कॉलेजों या NGO जिनको सरकार की ओर से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 'पर्याप्त मात्रा' में फंड मिलता है, वो सार्वजनिक प्राधिकरण है, और इस लिहाज से वो सूचना के अधिकार के दायरे यानी RTI के अधिकार में आएंगे. हालांकि किसे फंड की 'पर्याप्त मात्रा' माना जायेगा, इसका निर्धारण केस के तथ्यों पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने ये फैसला कुछ कॉलेजों या कॉलेज चलाने वाले NGO की याचिका पर दिया है. याचिकाकर्ताओं का दावा था कि NGO होने के नाते वो सूचना के अधिकार के दायरे में नही आते.

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सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि कोई भी निकाय जो अपना कामकाज सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकारी मदद पर आश्रित हैं उन्हें सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में ही माना जाएगा. कोर्ट में याचिका दायर करने वाले डीएवी कालेज ट्रस्ट और मैनेजमेंट सोसायटी व कुछ अन्य संगठनों ने दावा किया था कि आरटीआई के दायरे में केवल वो ही संगठन आते हैं जिनका गठन संविधान द्वारा, संसद/विधानसभा के किसी कानून द्वारा या सरकारी अधिसूचना से हुआ है. लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को ख़ारिज करते हुए ये फैसला सुनाया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरटीआई एक्ट को ही सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता लाने के लिए ही लागू किया गया था. अगर NGO और दूसरे निकायों को सरकार से पर्याप्त मात्रा में फंड मिल रहा है तो देश के किसी भी नागरिक को ये जानने का हक़ है कि आखिर उसका पैसा जो सरकार ने किसी NGO / दूसरे निकायों को दिया गया है, उसका सही इस्तेमाल हुआ है या नहीं.

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HIGHLIGHTS

  • RTI कानून के दायरे में होंगे ये संस्थान
  • SC का RTI कानून पर बड़ा फैसला
  • स्कूल, कालेज और NGO भी RTI के दायरे में
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