केंद्र की कैबिनेट बैठक में अहम फैसला, गन्ने की कीमत 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी
कैबिनेट ने गन्ना खरीद की कीमत को 315 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी है.
नई दिल्ली:
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने बीते दस सालों से किसान कल्याण के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि 2014 से पहले किसानों को खाद के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करना पड़ता था. उस वक्त गन्ने की कीमत सही नहीं मिल पाती थी. मगर मोदी सरकार ने इस दिशा में बहुत बेहतर काम किया है. केंद्र की कैबिनेट बैठक में बुधवार को कई अहम निर्णय लिए गए. कैबिनेट ने गन्ना खरीद की कीमत में आठ फीसदी की बढ़ोतरी की मंजूरी दी है. कैबिनेट ने गन्ना खरीद की कीमत को 315 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी है. गन्ने की कीमत 25 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ी है.
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ठाकुर ने कहा कि 2019-20 में गन्ना किसानों को 75,854 करोड़ रुपये मिले हैं. 2020-21 में गन्ना किसानों को 93,011 करोड़ रुपये मिले हैं. 2021-22 में गन्ना किसानों को 1.28 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. वहीं, 2022-23 में 1.95 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए. ये पैसे उनके खाते में दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि हम किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.
नेशनल लाइवस्टॉक के तहत एक सबस्कीम आरंभ की जा रही
अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी कैबिनेट का दूसरा बड़ा निर्णय नेशनल लाइवस्टॉक के तहत एक सबस्कीम आरंभ की जा रही है. घोड़े-ऊंट, गधा-खच्चर की संख्या लगातार कम हो रही है और देसी नस्ल की प्रजातियां खत्म होने तक पहुंच गई हैं. पशुधन को बचाने को लेकर नेशनल लाइवस्टॉक एक्सचेंज चलाया गया है. ब्रीड मल्टीफिकेशन पर काम जारी है. एंटरप्रेन्योर के रूप में कोई शख्स हो, सेल्फ हेल्प ग्रुप हो, इन सबको 50 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जा रही है.
ब्रीड मल्टीफिकेशन पर काम होगा
उन्होंने बताया कि घोड़े, ऊंट, गधा, खच्चर के लिए ब्रीड मल्टीफिकेशन पर काम होगा. इसके साथ चारे की उपलब्धता को बढ़ाने का प्रयास हो रहा है. डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड को चारे के प्रोडक्शन को लेकर काम हो रहा है. इसके लिए सब्सिडी मिलेगी. सभी तरह के पशुधन का इंश्योरेंस करने का लाभ मिलने वाला है. सभी में समान प्रीमियम देना होगा. पहले ये 20 से 50 फीसदी प्रीमियम देना होता था. अब ये 15 फीसदी देना होगा. रिसर्च डेवलपमेंट के तहत प्राइवेट इंस्टीट्यूशन को 50 फीसदी सब्सिडी अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक दी जाएगी. इससे छोटे और सीमांत किसानों को बड़ा फायदा मिलने वाला है.
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