कश्मीर भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है, इसमें किसी देश को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है, पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुंह पर बोलकर यह इशारा कर दिया है कि अमेरिका चाह कर भी इस मामले में ना पड़े. यह भारत की बढ़ती ताकत का ही परिचय है कि दुनिया के सबसे ताकतवर देश की बागड़ोर संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप को कश्मीर मुद्दे पर तीन बार अपने बयान बदलने पड़े. आज तो पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अमेरिका कश्मीर मुद्दे से खुद को बाहर कर लिया.
डोनाल्ड ट्रंप के बदले सुर कहा-दोनों देश मिलकर मसले को सुलझाए
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर पीएम मोदी से बात हुई. इस पर उनका नियंत्रण है. दोनों देश आपस में बातचीत करके इस मसले को सुलझा लेंगे.
ट्रंप ने कश्मीर मध्यस्थता पर अलापा था राग
ये वही अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान है जिन्होंने कुछ दिन पहले कश्मीर पर मध्यस्थता की राग अलाप रहे थे. 21 अगस्त 2019 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह कश्मीर की तनावपूर्ण स्थिति पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोबारा चर्चा करेंगे.जी-7 समिट मैं फ्रांस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रहूंगा, मैंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भी अलग से बातचीत की थी. कश्मीर में तनाव के पीछे धर्म का अहम हाथ है. वो इस मामले में मध्यस्था करने को तैयार है.
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इमरान खान से मुलाकात के बाद ट्रंप ने बोला था झूठ
डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले भी मध्यस्था की बात कह चुके थे. जुलाई महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की थी. इस दौरान साझा प्रेस वार्ता करके ट्रंप ने कहा था कि दो हफ़्ते पहले मेरी नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात हुई थी और उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या आप मध्यस्थ बनना चाहेंगे? मैंने पूछा कहां? उन्होंने कहा, कश्मीर में.'
अमेरिका ने कहा था कि पाकिस्तान और भारत अगर चाहे तो कश्मीर मुद्दा पर मध्यस्थता करने में खुशी होगी. हालांकि ट्रंप के इस बयान को भारत ने सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है. पीएम मोदी की तरफ से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया गया था.
एक बार डोनाल्ड ने कश्मीर मुद्दे पर अपने बयान से पलटी मारी
इसके बाद 2 अगस्त को डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले बयान से पलटे हुए कहा कि यह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह कश्मीर मामले का हल निकालने के लिए किसी की मदद लेना चाहते हैं या नहीं. उनकी मध्यस्थता भारत पर निर्भर करती है. दोनों ही देश आपस में इस मामले को सुलझा सकते हैं. अगर वे चाहेंगे तो वे इस मामले में ज़रूर हस्तक्षेप करेंगे.
लेकिन आज यानी सोमवार को फ्रांस में पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से साफ कर दिया कि कश्मीर मुद्दे पर किसी भी देश को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है.
अमेरिका को इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दिया था जवाब
बता दें कि 1972 में भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ. जिसमें यह सुनिश्चित किया गया था कि कश्मीर से जुड़े विवाद पर बातचीत में संयुक्त राष्ट्र सहित किसी तीसरे पक्ष का दखल मंज़ूर नहीं होगा और दोनों देश मिलकर ही इस मसले को सुलझाएंगे.
पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमेरिका के मुंह पर जवाब दिया था. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने कहा था कि अगर भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई की हिम्मत की तो नतीजे अच्छे नहीं होंगे. भारत को पछताना होगा. जिसका इंदिरा गांधी ने जवाब देते हुए पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद कराया.
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इंदिरा गांधी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे जिन्होंने अमेरिका की धमकी की परवाह किए बिना 1998 में परमाणु परीक्षण किया.
इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्होंने अमेरिका के मुंह पर कहा कि कश्मीर उसका द्विपक्षीय मुद्दा है. इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है.