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IMA 15 जून को 'नेशनल डिमांड डे' और 18 जून को 'विरोध प्रदर्शन दिवस' मनाएगा

योद्धाओं की रक्षा करो' नारे के साथ चिकित्सा पेशे से जुड़े डॉक्टरों एवं कर्मियों पर हमले रोकने की मांग भी करेगा. समिति ने फैसला किया है कि आईएमए की सभी शाखाओं द्वारा देशभर में 15 जून को नेशनल डिमांड डे और प्रेस वार्ता आयोजित की जाएगी.

Updated on: 12 Jun 2021, 06:21 PM

नई दिल्ली:

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने योगगुरु बाबा रामदेव के विवादित बयानों के विरोध में 18 जून को देशभर में विरोध प्रदर्शन दिवस मनाने का फैसला किया है. आईएमए की कार्यकारिणी समिति ने सभी पहलुओं पर विचार करने और डॉक्टरों की चिंता, नाराजगी एवं एकजुटता प्रदर्शित करने के तहत यह विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगा. साथ ही, 'योद्धाओं की रक्षा करो' नारे के साथ चिकित्सा पेशे से जुड़े डॉक्टरों एवं कर्मियों पर हमले रोकने की मांग भी करेगा. समिति ने फैसला किया है कि आईएमए की सभी शाखाओं द्वारा देशभर में 15 जून को नेशनल डिमांड डे और प्रेस वार्ता आयोजित की जाएगी.

18 जून को विरोध प्रदर्शन दिवस मनाने के दौरान जुबानी हिंसा के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शित करने के लिए डॉक्टर काला बिल्ला, काले झंडे, काले मास्क, काली रिबन, काली शर्ट पहनकर नाराजगी प्रकट करेंगे. यह विरोध प्रदर्शन कार्यस्थलों और आईएमए बिल्डिंग के प्रमुख केंद्रों और अस्पतालों में मनाया जाएगा. साथ ही विरोध प्रदर्शन के बाद सामूहिक रूप से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा.

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.ए. जयालाल ने कहा, आईएमए अपने उन सभी 724 योद्धाओं को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने महामारी की दूसरी लहर के दौरान अपनी शहादत दी है. हमारे डॉक्टर 724 योद्धाओं की जान गंवा देने के बावजूद समर्पण भाव से स्वास्थ्य सेवा देते आ रहे हैं और कई डॉक्टर संक्रमित भी हो चुके हैं. उन्होंने कहा, "योगगुरु रामदेव ने पहले तो डॉक्टरों का अपमान किया और अब कह रहे हैं कि डॉक्टर देवदूत हैं. वह खुद टीका लगवाने की भी बात कर रहे हैं, लेकिन हमारे डॉक्टरों के खिलाफ उनके बयान और जुबानी हिंसा से हम बहुत आहत हुए हैं, इसे हम भुला नहीं सकते."

जयालाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तहेदिल से आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने स्पष्ट कह दिया है कि टीकाकरण के खिलाफ कोई भी कार्रवाई देश को नुकसान पहुंचाएगी. हम उनसे इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने देने की अपील करते हैं. आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश एम. लेले ने कहा, पिछले दो सप्ताह के अंदर असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और कई अन्य जगहों पर डॉक्टरों पर हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं. कई डॉक्टरों की हड्डियां भी टूटीं और कई गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं. महिला डॉक्टरों के साथ भी गाली-गलौज और हिंसक घटनाएं हुई हैं.

इसके अलावा, आईएमए ने प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करते हुए कहा है कि "स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराई जाए. हम उनसे केंद्रीय अस्पताल और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स सुरक्षा अधिनियम में आईपीसी की धारा और आपराधिक गतिविधि संहिता शामिल करने की अपील करते हैं. प्रत्येक अस्पताल की सुरक्षा के मानक बढ़ाने, अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने, दोषियों के खिलाफ फास्ट-ट्रैक अदालत में सुनवाई और उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाने के प्रावधान की अपील करते हैं. आईएमए के अनुसार, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया के साथ संवाददाता सम्मेलन भी आयोजित की जाएगी. जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहेगा.