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आईएमए की मांग : 'एक दवा, एक कंपनी, एक दाम'

चिकित्सकों को जेनेरिक और सस्ती दवाइयां लिखने संबंधी सरकार के निर्देश के जवाब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 'एक दवा, एक कंपनी, एक दाम' की नीति बनाने की मांग की है।

Updated on: 31 May 2017, 11:20 PM

नई दिल्ली:

चिकित्सकों को जेनेरिक और सस्ती दवाइयां लिखने संबंधी सरकार के निर्देश के जवाब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 'एक दवा, एक कंपनी, एक दाम' की नीति बनाने की मांग की है।

आईएमए की ओर से जारी बयान के अनुसार, यह मांग संस्था के महीने भर चलने वाले उस अभियान का एक हिस्सा है, जिसे चिकित्सा जगत की अनेक विसंगतियों को दूर करने के मकसद से शुरू किया गया है। इस अभियान का समापन छह जून को होगा। इसके लिए आईएमए ने 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, 'सरकार ने कंपनियों को एक रसायन को तीन अलग दामों पर बेचने की अनुमति दे रखी है। वे जेनेरिक-जेनेरिक, जेनेरिक-ट्रेड और जेनेरिक-ब्रांच की तीन श्रेणियों में दवाएं बेच रहे हैं। ऐसे में 'एक दवा, एक कंपनी, एक दाम' की नीति होना जरूरी हो गया है। यह बिल्कुल भी जायज नहीं है कि सरकार एक ही कंपनी को विभिन्न दामों पर बेचने का लाइसेंस दे रही है और फिर डॉक्टरों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे सस्ती दवाएं लिखें।'

आईएमए का मानना है कि दवाइयों को मुक्त दाम की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और इन्हें खरीदने का निर्णय उपभोक्ता नहीं लेता, बल्कि डॉक्टर लेते हैं और कई बार तो कैमिस्ट भी।

अग्रवाल ने कहा, 'अन्य उत्पादों के बजाय, दवा खरीदने का निर्णय तात्कालिक और अनिच्छा से लिया जाता है। ऐसे में कंपनियों के लिए यह बिल्कुल जायज नहीं है कि अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए वे दवाओं के दाम बढ़ाते जाएं और जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ करें। इसलिए, यह जरूरी है कि सरकार दवाओं के दामों को नियंत्रित करे।'