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पतंजलि की कोरोनिल के दावे को IMA ने बताया गलत, स्वास्थ्य मंत्री से मांगी सफाई

पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल दवा कोविड-19 को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है. वहीं, डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोविड-19 के उपचार के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है.

Updated on: 23 Feb 2021, 09:46 AM

नई दिल्ली:

पतंजिल की कोरोनिल टैबलेट को विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाण पत्र मिलने की बात को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरासर झूठ करार देते हुए आश्चर्य प्रकट किया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से इस बाबत स्पष्टीकरण की मांग की. पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल दवा कोविड-19 को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है. वहीं, डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोविड-19 के उपचार के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है. आईएमए ने हैरानी जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से इसे लेकर स्पष्टीकरण देने की मांग की है.

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बता दें कि पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल टैबलेट दवा कोविड-19 महामारी को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है. उधर, डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोविड-19 महामारी के उपचार के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है. उल्लेखनीय है कि योग गुरु रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने 19 फरवरी को कहा था कि डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत कोरोनिल को आयुष मंत्रालय की ओर से कोविड-19 के उपचार में सहायक औषधि के तौर पर प्रमाण पत्र मिला है. हालांकि, बाद में इसेपर सफाई भी जारी की गई थी. 

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क्लिनिकल ट्रॉयल की जानकारी मांगी
सोमवार को आईएमए (IMA) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'देश का स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है. क्या आप इस कोरोना रोधी उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल की समयसीमा बता सकते हैं?' आईएमए ने कहा, 'देश मंत्री से स्पष्टीकरण चाहता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को स्वतः संज्ञान लेने के लिए भी पत्र लिखेगा. पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बाद में ट्वीट कर सफाई दी थी और कहा था, 'हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कोरोनिल के लिए हमारा डब्ल्यूएचओ जीएममी अनुपालन वाला सीओपीपी प्रमाण पत्र डीजीसीआई, भारत सरकार की ओर से जारी किया गया. यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ किसी दवा को मंजूरी नहीं देता. डब्ल्यूएचओ विश्व में सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने के वास्ते काम करता है.'