अवैध खनन मामले के आरोपी जी जनार्दन रेड्डी को SC से राहत, बेल्लारी जाने की मिली इजाज़त
11 जनवरी 1967 को चित्तूर में जन्मे गाली जनार्दन रेड्डी भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं. अवैध खनन मामले में आरोप लगने के बाद उन्हें साल 2010 के मध्य में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
highlights
- जनार्दन रेड्डी को घूसकांड मामले में केंद्रीय क्राइम ब्रांच ने किया था गिरफ्तार
- चित्तूर में जन्मे गाली जनार्दन रेड्डी भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं
- खनन व्यवसायी रेड्डी कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके हैं
नई दिल्ली:
खनन माफिया से नेता बने जी जनार्दन रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. रेड्डी दो वर्षों से अधिक से जेल में बंद हैं. अब उनके बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. रेडडी कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके हैं. लेकिन उनकी पहचान खनन के अवैध व्यवसाय में शामिल होने की रही है. कोर्ट ने उन्हें कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले और आंध्र प्रदेश के कडापा और अनंतपुरम जाने और वहां रहने की इजाज़त दे दी है. हालांकि कोर्ट ने जिले में पहुंचने और वहां से निकलने पर जिले के एसपी को जानकारी देने की शर्त लगाई है.
Supreme Court allows former Karnataka minister and mining baron, Gali Janardhan Reddy, accused in a multi-million illegal mining case to visit and stay in Bellary district in Karnataka and Kadapa and Anantpuram in Andhra Pradesh
— ANI (@ANI) August 19, 2021
नवंबर 2018 में जनार्दन रेड्डी को घूसकांड मामले में केंद्रीय क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था. उनके साथ क्राइम ब्रांच ने उनके करीबी रहे अली खान को भी पकड़ा था. बता दें कि करोड़ों रुपये के पोंजी स्कीम मामले में संलिप्तता के आरोप में उनसे पूछताछ हुई थी.
अपराध शाखा का आरोप था कि रेड्डी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पोंजी स्कीम जांच में आरोपियों को बचाने का काम किया. हालांकि कुछ दिनों बाद ही उन्हें फिर से ज़मानत मिल गई थी.
जनार्दन रेड्डी को कर्नाटक के अमीर राजनेताओं में गिना जाता है. 11 जनवरी 1967 को चित्तूर में जन्मे गाली जनार्दन रेड्डी भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं. अवैध खनन मामले में आरोप लगने के बाद उन्हें साल 2010 के मध्य में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
खनन कारोबारी जी जनार्दन रेड्डी काफी विवादित शख्सियत हैं. खनन कारोबार के साथ-साथ वे अपने राजनीतिक संबंधों के लिए जाने जाते हैं. पिछले दिनों कैश फॉर बेल के एक मामले में सीबीआई के पूर्व विशेष न्यायाधीश बी नागा मारुति सरमा ने बड़ा खुलासा किया था कि रेड्डी को जमानत दिलाने के लिए उन्हें 40 करोड़ रुपये देने की पेशकश की गई थी. बता दें कि सरमा के बाद पद संभालने वाले टी पट्टाभि रामाराव और हाईकोर्ट के एक न्यायिक अधिकारी को रेड्डी की जमानत के लिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
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