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संसद का नॉलेज पार्टनर बन सकता है आईआईटी दिल्ली सांसदों का बढ़ेगा नॉलेज

आईआईटी दिल्ली अपनी बेहतरीन रिसर्च और अविष्कारों के लिए देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता है. भारत का यह बेहतरीन उच्च शिक्षण संस्थान अब भारतीय संसद का नॉलेज पार्टनर भी बन सकता है. इसकी पुष्टि स्वयं आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने की है. आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ भारतीय सांसदों को 5जी टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन समेत आम लोगों से जुड़े कई विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारियां नियमित तौर पर प्रदान कर सकते हैं.

Updated on: 07 Nov 2022, 12:00 AM

नई दिल्ली:

आईआईटी दिल्ली अपनी बेहतरीन रिसर्च और अविष्कारों के लिए देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता है. भारत का यह बेहतरीन उच्च शिक्षण संस्थान अब भारतीय संसद का नॉलेज पार्टनर भी बन सकता है. इसकी पुष्टि स्वयं आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने की है. आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ भारतीय सांसदों को 5जी टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन समेत आम लोगों से जुड़े कई विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारियां नियमित तौर पर प्रदान कर सकते हैं.

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंजन बैनर्जी ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदगी व एक नेशनल इंस्टिट्यूट होने के नाते फिलहाल इसके लिए एक पहल की है. इसके लिए हमने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से चर्चा की है और शिक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. गौरतलब है कि इन तमाम सहमतियों के आईआईटी दिल्ली द्वारा भारतीय संसद के नॉलेज पार्टनर बनने के लिए शुरूआती प्रयास किए जा रहे हैं.

खास बात यह भी है कि सांसदों को महत्वपूर्ण जानकारियां, रिसर्च नए अविष्कार की नॉलेज साझा करने के दौरान भाषा कोई बाधा नहीं होगी. सांसदों को विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारियां इंग्लिश, हिंदी व कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराई जा सकती है.

आईआईटी दिल्ली का स्पष्ट कहना है कि वह संसद का नॉलेज पार्टनर बनना चाहेगा. इसके लिए बकायदा शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से एक प्रस्ताव भी भेजा गया है. इस नई पहल के जरिए जल्द ही आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसरों के अलग-अलग समूह महत्वपूर्ण मुद्दों पर सांसदों के साथ जुड़कर कई विषयों पर उनके ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं.

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर देश के सांसदों को जिन विषयों पर जानकारी मुहैया करवाएंगे उनमें नई एवं आधुनिकतम टेक्नोलॉजी. खास तौर पर कम्युनिकेशन डिजिटल टेक्नोलॉजी के विषय में भारतीय सांसदों के साथ नॉलेज साझा की जा सकती है. इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण विषय जैसे कि प्रदूषण पर भी आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर्स भारतीय सांसदों को महत्वपूर्ण जानकारियां व तथ्य उपलब्ध करा सकते हैं. इस योजना के तहत आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ सांसदों से मुलाकात करेंगे और उन्हें नई तकनीक एवं अविष्कारों की जानकारी फस्र्ट हैंड मुहैया कराएंगे.

इसमें वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, कचरा निपटान के आधुनिक तरीके, कचरे से बिजली, टाइल, ईटें जैसी वस्तुओं की टेक्नोलॉजी सांसदों को बताना शामिल है. इसके अलावा भी विभिन्न अन्य महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि जलवायु परिवर्तन पर भी आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ भारतीय संसद के साथ महत्वपूर्ण जानकारियां एवं नॉलेज साझा कर सकते हैं.

गौरतलब है कि वायु प्रदूषण जैसे गंभीर विषय पर आईआईटी दिल्ली पहले ही भारत सरकार के साथ एक महत्वपूर्ण परियोजना पर कार्य कर रहा है. भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की एक पहल, दिल्ली रिसर्च इम्प्लीमेंटेशन एंड इनोवेशन (डीआरआई आईवी) के साथ आईआईटी दिल्ली जुड़ चुका है. आईआईटी दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च इन क्लाइमेट चेंज एंड एयर पॉल्यूशन ने इसके लिए केंद्र के साथ साझेदारी की है.

प्रदूषण के महत्वपूर्ण विषय पर केंद्र सरकार से की गई इस साझेदारी के तहत आईआईटी दिल्ली नवंबर 2022 से फरवरी 2023 तक दिल्ली एनसीआर में एंगेजमेंट, इंजीनियरिंग और रिसर्च के माध्यम से एक खास प्रोजेक्ट समीर पर काम कर रहा है. इसके जरिए दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण कम करने के उपायों पर काम किया जाएगा.

एक अच्छी बात यह भी है कि इसके साथ ही आईआईटी दिल्ली भाषा के बंधन को भी तोड़ने का प्रयास कर रही है. आईआईटी दिल्ली का मानना है कि सीखने के रास्ते में भाषा बाधा नहीं बननी चाहिए, आईआईटी दिल्ली में इसके लिए बाकायदा एक हिंदी सेल का गठन किया गया है. आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंजन बैनर्जी के मुताबिक फिलहाल हिंदी सेल का गठन किया गया है, लेकिन जल्द ही टीचिंग और लनिर्ंग में भी हिंदी को शामिल करने का प्रयास आईटी दिल्ली द्वारा किया जाएगा. उनके मुताबिक इस विषय पर हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण बैठकें भी आयोजित की गई हैं. इन बैठकों में हिंदी भाषा में टीचिंग और लनिर्ंग उपलब्ध कराने पर चर्चा की गई है.