भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 1990 बैच के अधिकारी प्रदीप कुमार रावत को सोमवार को चीन में भारत का अगला राजदूत नियुक्त किया गया। रावत की नियुक्ति को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि दोनों देशों के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है।
रावत वर्तमान में नीदरलैंड में भारतीय राजदूत हैं। वह अब विक्रम मिश्री का स्थान लेंगे।
विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, उनके शीघ्र ही कार्यभार संभालने की उम्मीद है। रावत की नियुक्ति पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के बीच में हुई है।
वह धाराप्रवाह मंदारिन बोलते हैं और पहले हांगकांग और बीजिंग में सेवा दे चुके हैं। उनकी पोस्टिंग के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती चीन के साथ भारत का सीमा विवाद मुद्दा होगा।
भारत और चीन के बीच पिछले 20 महीने से विवाद चल रहा है। भारत-चीन सीमा मामलों (डब्लूएमसीसी) मीटिंग पर परामर्श और समन्वय के लिए अंतिम कार्य तंत्र इस साल नवंबर में आयोजित हुआ था।
बैठक के बाद, दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शेष विवादों का शीघ्र समाधान खोजने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की है, जबकि पूरी तरह से द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने पर भी सहमित बनी है, ताकि शांति बहाल हो सके।
विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा था, दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि दोनों पक्षों को अंतरिम में भी स्थिर जमीनी स्थिति सुनिश्चित करना जारी रखना चाहिए और किसी भी अप्रिय घटना से बचना चाहिए।
इस बीच, दोनों देशों ने किसी भी खतरे को विफल करने के लिए सर्दियों के दौरान भी तैनाती बढ़ा दी है।
भारतीय सैनिकों को सीमा पर लगभग 17,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया है और सभी जगहों पर रसद सुविधाओं का इंतजाम भी किया गया है। सुरक्षआ बल कठोर सर्दियों में तनाव वाले बिंदुओं पर बढ़ी हुई सेना की तैनाती को बनाए रखने के लिए तैयार है, जहां तापमान जल्द ही शून्य से 20 डिग्री से नीचे गिरना शुरू हो जाएगा।
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Source : IANS