खाने के पड़े लाले, पैसा नहीं तो मकान मालिकों ने निकाला, मजबूरन बच्चों के साथ पैदल निकल पड़े मजदूर

इस संकट के दौर में लोगों की जिंदगी ठहर सी गई है और सबसे बुरा हाल उन मजदूरों का है, जो अपनी रोजी रोटी के लिए बाहर गए थे.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
Migrant Workers

खाने के पड़े लाले, मजबूरन बच्चों के साथ पैदल निकल पड़े मजदूर( Photo Credit : ANI)

आज कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण से पूरा देश लड़ाई लड़ रहा है. इस महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू है, जिससे सब कुछ ठप हो गया है. इस संकट के दौर में लोगों की जिंदगी ठहर सी गई है और सबसे बुरा हाल उन मजदूरों का है, जो अपनी रोजी रोटी के लिए बाहर गए थे. अब लॉकडाउन (Lockdown) में इन लोगों के खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं. काम न चलने की वजह से हाथ में पैसा नहीं आया है और पेट भरने के लिए जेब में फूटी कौड़ी तक नहीं बची. मकान मालिकों द्वारा किराया न देने पर रहने का ठिकाना छीन लेने से ऐसे मजदूर गृहस्थी के साथ सड़कों पर आ गए है. लिहाजा प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) इस कोरोना संक्रमण काल में अपने घरों को पलायन करने को मजबूर हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें: यूपी में कोरोना रोगियों की संख्या 3900 पार, अब तक 88 मौतें, सभी 75 जिले चपेट में

देश के अलग-अलग शहरों से फंसे प्रवासी मजदूरों के अपने घर पहुंचने का सिलसिला जारी है. क्योंकि उनके पास कोई चारा नहीं बचा है. ऐसे में अपने गांव लौटना ही मुनासिफ समझ रहे हैं. कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर अपने परिवार, बच्चों और सामान के साथ सड़कों पर पैदल चल रहे हैं. देश के अन्य राज्यों और शहरों की तरह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का भी यही हाल है. यहां से भी बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने घर का सफर तय करने निकल रहे हैं. आज सुबह भी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर पैदल ही अपने गांवों की ओर जाते दिखे.

इन प्रवासी मजदूरों में से एक महिला बबीता का कहना है कि मेरा घर झांसी में है, मेरा ढाई साल का बच्चा रो रहा और बस यही कह रहा कि मम्मी घर पर आ जाओ. उसने कहा कि हम पैदल चले जाएंगे, बस हमें रोका ना जाए. रोते-रोते बबीता ने कहा कि कुछ साधन नहीं दे रहे तो पैदल तो जाने दो. यहां इंतजार करते हुए दो महीने हो गए, मेरा बच्चा भूखा है वो कुछ खा नहीं रहा है.

यह भी पढ़ें: मत्स्य पालन उद्योग, होटल और एविएशन सेक्टर के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज कर सकती हैं बड़े ऐलान

एक अन्य महिला रीटा का कहना है कि वह हरदोई की रहने वाली है. रीटा ने बताया कि मकान का किराया नहीं देने पर उसे मकान मालिक ने घर से निकाल दिया. उसने कहा कि हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं, ठिकाना छिनने के बाद उनके पास पैदल ही घर जाने के अलावा कोई चारा भी नहीं है.

हर मजदूर की ऐसी ही कहानी देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही है. खाने को या कमाने को कुछ नहीं है तो गांव लौटना मजबूरी बन गया है. लॉकडाउन में सार्वजनिक वाहन न चलने पर मजदूरों को पैदल ही या साइकिल से अपने घर जाना पड़ रहा है. हालांकि आपको बता दें कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं. रेलवे ने अब तक 806 श्रमिक ट्रेनों के जरिए 10 लाख प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाया. ट्रेन के परिचालन की लागत का 85 प्रतिशत बोझ केंद्र सरकार उठाएगी. शेष 15 प्रतिशत बोझ राज्य सरकारें वहन करेंगी. इसके अलावा राज्य सरकारों ने बसों की भी व्यवस्था की हुई है.

यह वीडियो देखें: 

delhi Uttar Pradesh Corona Lockdown Migrant laborer
      
Advertisment