वरुण बोले, गांधी नहीं होता तो 29 साल की उम्र में नहीं बन पाता सांसद

वरुण ने कहा कि वो एक ऐसा समाज देखना चाहते हैं जहां सभी लोगों को बिना उसकी पहचान के एक समान अधिकार दिए जाए।

वरुण ने कहा कि वो एक ऐसा समाज देखना चाहते हैं जहां सभी लोगों को बिना उसकी पहचान के एक समान अधिकार दिए जाए।

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Deepak K
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वरुण बोले, गांधी नहीं होता तो 29 साल की उम्र में नहीं बन पाता सांसद

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने परिवारवाद को लेकर एक चौकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वो गांधी परिवार से नहीं होते तो महज़ 29 साल की उम्र में लोकसभा के सदस्य नहीं बन पाते।

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वरुण ने कहा कि वो एक ऐसा समाज देखना चाहते हैं जहां सभी लोगों को बिना उसकी पहचान के एक समान अधिकार दिए जाए।

गुवाहटी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पूछा, 'मैं फिरोज़ गांधी हूं, यदि मेरा उपनाम गांधी नहीं होता तो क्या 29 साल की उम्र में मैं लोकसभा सदस्य बन पाता? मैं ऐसा भारत देखना चाहता हूं जहां ये मायने नहीं रखता कि मैं वरुण दत्ता हूं, वरुण घोष हूं या वरुण ख़ान हूं। मैं ऐसा देश देखना चाहता हूं जहां सभी लोगों को एक समान अधिकार दिया जाए बिना उनका नाम जाने।'

गांधी लोगों को राईट टू रिकॉल के बारे में बता रहे थे। उन्होंने लोगों से कहा कि अगर उनके सांसद अपना काम करने में असफल रहे हैं तो उनको बताया जाए।

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आगे उन्होंने कहा, 'चुनाव जीतना काफी नहीं है। लोगों के पास राईट टू रिकॉल (सांसदों को उनके काम-काज के बारे में बताने का अधिकार) होना चाहिए। मैनें लोकसभा में राईट टू रिकॉल बिल (प्राइवेट मेंमबर्स बिल) पेश किया था जिससे लोगों के पास ये अधिकार हो कि अगर वो उनके काम-काज से ख़ुश नहीं हैं तो उनको हटाया जाए।'

बता दें कि उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद वरुण गांधी ने पिछले साल एक प्राइवेट बिल पेश करते हुए रिप्रजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट 1951 में संशोधन करने की बात कही थी। इस बिल के अनुसार लोगों के पास ये अधिकार होगा कि अगर 75 फीसदी लोग सांसद चुने जाने के दो साल बाद उनके काम-काज से ख़ुश नहीं है तो उन्हें हटा सकते हैं।

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गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि ब्रिटेन में मतदाताओं के पास ये अधिकार है कि वो सामूहिक रुप से सरकार को याचिका दे सकते हैं और अगर उन्होंने 1 लाख़ लोगों का सिंगनेचर किया हुआ लेटर सरकार को दिया तो प्रतिनिधि की ज़िम्मेदारी तय करने के लिए बहस करवाई जाती है।

गांधी ने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा, 'किसानों की मांग और उनके द्वारा किए जा रहे आत्महत्या के मामले को देखते हुए मैने तमिलनाडु विधानसभा में पूरे दिन का सत्र बुलाने की मांग की थी। उन्होंने बुलाई भी लेकिन पूरे दिन विधायकों की सैलेरी दोगुनी करने पर चर्चा करते रहे।'

उन्होंने कहा, 'विधायकों के बजाए ग़रीब लोग किसानों की दुर्दशा को देखते हुए उनकी मदद के लिए आगे आए। जिससे कि उनके द्वारा की जा रही आत्महत्या के माले में कमी आए।'

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Source : News Nation Bureau

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