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किसान अपनी बातों से संतुष्ट करें तो कानून पर होगा विचार: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

किसानों के इस आंदोलन पर News Nation से बात करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि भारत सरकार किसानों के साथ चर्चा के लिए पूरी तरह से तैयार है

Updated on: 29 Nov 2020, 06:30 PM

नई दिल्ली:

नये कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसान अभी भी दिल्ली के सीमाओं के बाहर बड़ी संख्या में आंदोलन कर रहे हैं. हालाकिं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वार्ता के लिए किसानों को न्योता दिया है और किसानों से अनुरोध किया है कि पहले बुराड़ी आ जाएं फिर चर्चा होगी. सरकार के तरफ से इस न्योते के बाद अब किसान संगठन को अगले कदम पर फैसला लेना है.

किसानों के इस आंदोलन पर News Nation से बात करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि भारत सरकार किसानों के साथ चर्चा के लिए पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने कहा 'किसानों से कहना चाहता हूं कि वह आंदोलन का रास्ता छोड़ें और वार्ता के लिए आए'. कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार पहले से ही चर्चा में है. किसानों से चर्चा होनी ही थी. इसके लिए 3 दिसंबर का निमंत्रण सरकार के तरफ से पहले ही दे दिया गया था. उन्होंने बताया कि गृहमंत्री ने भी कहा है कि चर्चा के लिए राजी हैं.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने News Nation से कहा कि किसान पहले आंदोलन का रास्ता छोड़कर आएं फिर चर्चा होगी.  उन्होंने कहा कि सवाल शर्त का नहीं है. गृह मंत्री अमित शाह जी ने कहा है कि जो सड़क पर है वो सभी बुराड़ी आ जाएं फिर वार्ता होगी.  वार्ता के लिए सरकार  हमेशा तैयार हैं. किसानों के लिए बुराड़ी में सभी तरह की व्यवस्था की गई है जहां किसान आराम से रह कर आंदोलन कर सकते हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि इससे किसानों को भी कोई दिक्कत नहीं होगी और लोगों को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

कृषि मंत्री ने कहा कि आंदोलन की क्या वजह है इस पर कुछ भी बोलना नहीं चाहता हूं, पर इतना कहना चाहूंगा कि किसान यूनियन के जो लोग आंदोलन कर रहे हैं वह आंदोलन का रास्ता छोड़कर चर्चा का रास्ता अपनाएं. भारत सरकार हमेशा उनसे चर्चा के लिए तैयार है.  हमने किसानों से चर्चा की भी है. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कानून पर बैठकर चर्चा होगी और अगर किसान सरकार को संतुष्ट कर दें तो सरकार को कृषि कानून पर पुनर्विचार करने में कोई दिक्कत नहीं है.