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आतंकी मसूद अजहर का बचाव करने पर भारत चीन को मान सकता है आतंकी समर्थक देश

संयुक्त राष्ट्र संघ के 15 सदस्य देशों में चीन ही एक मात्र ऐसा देश था जिसने भारत की इस मांग को स्थगित कर दिया था।

संयुक्त राष्ट्र संघ के 15 सदस्य देशों में चीन ही एक मात्र ऐसा देश था जिसने भारत की इस मांग को स्थगित कर दिया था।

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Abhishek Parashar
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आतंकी मसूद अजहर का बचाव करने पर भारत चीन को मान सकता है आतंकी समर्थक देश

भारत ने ये साफ कर दिया है कि अगर चीन आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खूंखार आतंकी मौलाना मसूद अजहर का बचाव करता रहेगा तो भारत चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है जिसका परिणाम चीन को भुगतना पड़ेगा।

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इसी साल भारत ने 31 मार्च को संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद से आतंकी मौलाना मसूद अजहर को अतंर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के साथ ही बैन करने की भी मांग की थी जिसका चीन ने विरोध किया था।भारत ने ये मांग पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला होने के बाद की थी।

अगर मसूद अजहर पर बैन लग जाता तो उसके सभी अकाउंट फ्रीज हो जाते इसके साथ ही उसके किसी भी देश में जाने पर पाबंदी लग जाती। इसी सप्ताह के अंत तक चीन को इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करना है।

चीन के रुख के बाद भारत मसूद अजहर के भाई, अब्दुल रौफ असगर, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कुछ और आतंकियों पर बैन लगाने का प्रस्ताव यूएन के सुरक्षा परिषद में रख सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के 15 सदस्य देशों में चीन ही एक मात्र ऐसा देश था जिसने भारत की इस मांग को स्थगित कर दिया था।

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भारत की नाराजगी के बाद चीन ने इस मुद्दे पर भारत को दो विकल्प दिए थे। अगर चीन अपने 'होल्ड' को आगे नहीं बढ़ाता है तो मसूद अजहर खुद-ब-खुद आतंकी घोषित हो जाएगा। साथ ही जैश-ए-मोहम्मद भी प्रतिबंधित आंतकी संगठनों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा।

अगर चीन अपने होल्ड पर कायम रहता है तो कमिटी इस मसले पर विचार-विमर्श करने के लिए और वक्त लेगी। भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने के पीछे चीन के अपने हित छुपे हुए हैं।

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मसूद अजहर के मुद्दे पर भारत ने चीन के दोनों प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। क्योंकि भारत को ये लगता है कि चीन का ये सुझाव भारत के हित में नहीं है और चीन कारगर तरीके से मसूद अजहर पर रोक नहीं लगने देना चाहता है। इसका सीधा मतलब ये है कि चीन हर कीमत पर पाकिस्तान का समर्थन करेगा जिसमें आतंकवाद भी शामिल है।

चीन को पाकिस्तान से निजी, कूटनीतिक और व्यवसायिक फायादा भी जिसकी वजह से चीन हमेशा पाकिस्तान के समर्थन में रहता है। इससे भारत और चीन के बीच संबंधों को झटका लग सकता है।

Source : News Nation Bureau

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