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प्रतीकात्मक फोटो
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प्रतीकात्मक फोटो
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आपराधिक मामलों में कम उम्र के बाल गवाहों को गवाही की इजाजत दी जा सकती है, बशर्ते वह इतना समझदार हो कि सवालों को समझ कर उनका तार्किक जवाब दे सके. बता दें कि इससे पहले नाबालिग बच्चों की गवाही कोर्ट में नहीं मानी जाती थी.
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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की एक पीठ ने कहा कि बाल गवाह से सवाल जवाब कर घटना को समझने और अदालत के सामने सच बोलने की उसकी बौद्धिक क्षमता को सुनिश्चित किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि बाल गवाह उस स्थिति में ही अक्षम होता है जब अदालत को यह लगता है कि वह सवालों को नहीं समझ पाएगा और सही तरीके से जवाब नहीं देगा.
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इसके साथ ही बाल गवाह की क्षमता को सुनिश्चित करने के लिये न्यायाधीश को अपनी राय भी बनानी होगी. सर्वोच्च न्यायालय हत्या के एक मामले में अपील की सुनवाई कर रहा था जिसमें अभियोजन के दो गवाह नाबालिग थे.