Lock Down: तबलीगी जमात में भाग लेने वाले 300 संदिग्धों की केरल में पहचान

अनुमान लगाया गया है कि तीसरे सप्ताह में 80 लोगों ने इस बैठक में हिस्सा लिया.इनमें से कई लोग पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ऐसे लोगों के मोबाइल नंबरों को ट्रैक करके इनके बारे में पता लगाने की पूरी कोशिश कर रही है.

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Ravindra Singh
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तबलीग जमात के लोग( Photo Credit : फाइल)

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य पुलिस को उन सभी लोगों का पता लगाने के लिए कहा है जो दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात मरकज का दौरा कर चुके हैं. इनमें से लगभग 300 लोगों की पहचान राज्य के विभिन्न हिस्सों से की गई है. लेकिन जिन 300 ने प्रार्थना सत्रों में हिस्सा लिया, उनमें से माना जा रहा है कि केवल 80 लोग ही केरल लौटें हैं. पहले सप्ताह में 200 से ज्यादा ने इस बैठक में भाग लिया था.

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अनुमान लगाया गया है कि तीसरे सप्ताह में 80 लोगों ने इस बैठक में हिस्सा लिया.इनमें से कई लोग पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ऐसे लोगों के मोबाइल नंबरों को ट्रैक करके इनके बारे में पता लगाने की पूरी कोशिश कर रही है. इस बीच, जिन दर्जन भर लोगों की पहचान हो चुकी है, वे ठीक हैं. उनमें कोरोनोवायरस के कोई लक्षण नहीं हैं. फिर भी स्वास्थ्य अधिकारी कोई चांस नहीं लेना चाहते हैं, इसलिए इन्हें आइसोलेशन में रखा है.

ऐसे काम करती तबलीगी जमात
तबलीग़ जमात की अक्सर इस बात के लिए भी आलोचना होती है कि ये किसी सामाजिक या दुनियावी कामों में हिस्सा नहीं लेते. इसीलिए अक्सर इनके बारे में कहा जाता है कि ये ज़मीन की नहीं सोचते. ये या तो ज़मीन से 6 फ़ीट नीचे (क़ब्र) की सोचते हैं या ज़मीन से ऊपर आसमान (जन्नत-जहन्नम) की फिक्र करते हैं. इनका एक ही मक़सद होता है कि, जो मुसलमान हैं वो पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ें, रोज़ा रखें और बुराइयों से दूर रहे. जो लोग तबलीग़ जमात से जुड़ते हैं, वो महीने में 3 दिन अपनी बस्ती से दूर दूसरी बस्ती में जाकर दूसरे मुसलमानों से मिलते हैं. उन्हें दीन पर चलने की दावत देते हैं और मस्जिदों में रहकर इबादत करते हैं. इसके अलावा साल में 40 दिन का वक़्त लगाते हैं, जिन्हें ये चिल्ला कहते हैं.

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विदेश से आने वाले जमातियों को दिए जाते ट्रांसलेटर
भारत से हर साल कई जमात विदेश जाती है और विदेशों से भी कई जमात भारत आती रहती है. दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीग़ जमात का हेडक्वार्टर है. विदेश से जो भी जमात आती है सबसे पहले वो यहीं आती है. इसके बाद यहां से उस जमात का रूट तय किया जाता है कि कहां, किस राज्य में किस किस जगह जाना है. विदेश से आने वाले जमात के लोग क्योंकि हिंदी या दूसरी भारतीय भाषा नहीं बोल सकते इसलिए हेडक्वार्टर से ही इनके साथ ट्रांसलेटर की भी व्यवस्था की जाती है. इस संगठन के लोग देश के सभी राज्यों, सभी जिलों, सभी गाँवों में मौजूद हैं. इसलिए ये सबसे बड़ा संगठन है. अभी फरवरी महीने में नेपाल में तबलीग़ जमात का अंतरराष्ट्रीय स्तर का इज्तिमा हुआ था. जिसमें दुनिया भर से लोग जमा हुए थे.

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दिल्ली में मामला दर्ज होते ही शुरू हो गई थी छापेमारी
निजामुद्दीन स्थित मरकज तबलीगी जमात प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज होते ही मंगलवार को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की चाल तेज हो गयी. मामले की जांच भले ही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा कर रही हो, मगर एफआईआर दर्ज होती ही जिलों की भी पुलिस हरकत में आ गयी. जिला पुलिस को डर यह सता रहा है कि, जिस थाने के इलाके में तबलीगी जमात से जुड़े लोग पकड़े जायेंगे, उस थानेदार की नौकरी भी दांव पर लग सकती है. लिहाजा क्राइम ब्रांच छापे मारी शुरू करती उससे पहले ही थाने की पुलिस काम पर लग गयी.

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