कोरोना की जांच के लिए कुल्ले के पानी का भी हो सकता है इस्तेमाल, ICMR की रिपोर्ट
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट की मानें तो कोरोना का टेस्ट करने के लिए कुल्ले किया गया पानी भी अच्छा विकल्प है.
नई दिल्ली:
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट की मानें तो कोरोना का टेस्ट करने के लिए कुल्ले किया गया पानी भी अच्छा विकल्प है. फिलहाल कोरोना का टेस्ट करने के लिए मुंह और नाक का स्वैब लिया जाता है. लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक मुंह और नाक के स्वैब के बदले कोरोना के टेस्ट के लिए कुल्ला किया गया पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इतना ही नहीं, कुल्ला किया गया पानी का सैंपल लेना मुंह और नाक के स्वैब के सैंपल लेने से ज्यादा आसान है.
रिपोर्ट में बताया कुल्ले के पानी का इस्तेमाल करने से खर्च में भी कमी आ सकती है. इससे टेस्टिंग और बचाव उपकरणों का खर्चा बच सकता है. Gargle lavage as a viable alternative to swab for detection of SARS-CoV-2 नाम की रिपोर्ट के मुताबिक स्वैब के सैंपल लेने की प्रक्रिया में कई खामियां भी हैं. साथ ही इसके लिए ट्रेनिंग की भी जरूरत पड़ती है और मेडिकलकर्मी को कोरोना संक्रमित होने का खतरा भी रहता है.
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की मुहिम को युद्ध स्तर तक ले जाने की बात कर चुके हैं. रूस में वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो गया है. भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और चीन वैक्सीन ट्रायल के तीसरे चरण में पहुंच गए हैं. ऐसे में सवाल उठता की वैक्सीन कब तक, किस तरह और किस किसको दी जाए? इसके लिए राष्ट्रीय टीकाकरण की उच्चस्तरीय कमेटी का गठन नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ बीके पौल की अध्यक्षता में हो चुकी है.
भारत में वैक्सीन का प्री क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है. मानव परीक्षण का पहला और दूसरा चरण भी सफल रहा है. तीसरे चरण में वैक्सीन का ट्रायल पहुंच गया है. तीसरे चरण में बड़े जन समूह में टीकाकरण का परीक्षण किया जाता है
वैक्सीन देने के लिए भी क्रम निर्धारण करने की रणनीति शुरू हो गई है. जैसी सबसे पहले मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा सेवाओं के जवानों यानी करोना वरियर को वैक्सीन दी जाएगी. वैक्सीन की ब्लैक मार्केटिंग को रोकने के लिए वैक्सीन के उत्पादन से लेकर वितरण तक की जियो टैगिंग होगी. इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और डिजिटल रूप से रखी जाएगी पूरी प्रक्रिया पर नजर.
पल्स पोलियो अभियान से लेकर बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन तक भारत में टीकाकरण के कई स्तर पर मुहिम चलाई जा चुकी है. देश में फार्मा उद्योग और सरकारी तंत्र राष्ट्रीय टीकाकरण के लिए विकसित हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही कोविड-19 वैक्सीन को अनुमति मिलेगी युद्ध स्तर पर टीकाकरण का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा.
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