पाकिस्तान में फटने वाला है महंगाई का बम, आईएमएफ की किस्त के तहत फूटेगा बिजली-गैस बम
54 करोड़ डालर की इस तीसरी किस्त की शर्त के बदले में पाकिस्तान की जनता की जेब से अरबों रुपये निकालने की कवायद शुरू हो चुकी है.
highlights
- आईएमएफ छह अरब डालर के कर्ज की तीसरी किस्त जारी करने वाला है.
- बिजली और गैस की अधिक महंगी दरें लोगों पर बम बनकर फटेंगी.
- 2020 के पहले तीन महीने पाकिस्तानी अवाम पर बहुत भारी.
नई दिल्ली:
आर्थिक तबाही की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) छह अरब डालर के कर्ज की तीसरी किस्त जारी करने वाला है. इसी के साथ देश के आम लोगों की सांसें अटक गई हैं. कर्ज की शर्तों के तहत पाकिस्तानी जनता पर पहले से ही भारी आर्थिक बोझ पड़ चुका है. जाहिर है यह बोझ अब और गंभीर रूप लेने जा रहा है. 54 करोड़ डालर की इस तीसरी किस्त की शर्त के बदले में पाकिस्तान की जनता की जेब से अरबों रुपये निकालने की कवायद शुरू हो चुकी है.
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गैस की कीमत में 214 फीसदी बढ़ोतरी संभव
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमएफ द्वारा लगाई गई चार शर्तो के तहत गैस की कीमत में 214 फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है और लगातार महंगी हो रही बिजली की मद में लोगों से चालीस अरब (पाकिस्तानी) रुपये और वसूले जाने की तैयारी हो रही है. खाली खजाने को भरने के लिए आईएमएफ से सरकारें कर्ज लेती हैं जो कड़ी शर्तों के साथ मिलता है और जिसमें ढांचागत समायोजन और 'आर्थिक सुधारों' पर जोर रहता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी कर्ज की शर्तों के कारण साल 2020 के पहले तीन महीने पाकिस्तानी अवाम पर बहुत भारी पड़ने जा रहे हैं. बिजली और गैस की अधिक महंगी दरें लोगों पर बम बनकर फटने वाली हैं.
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28 फरवरी तक आय-व्यय-बचत का रिकार्ड पेश करो
रिपोर्ट के मुताबिक, पहली शर्त के तहत सभी निजी बिजली कंपनियों को पूर्ण उत्पादन क्षमता के तहत चलाने के लिए 155 अरब रुपये के वार्षिक कैपिसिटी चार्ज का 25 फीसदी हिस्सा आम लोगों से बिजली बिलों में वसूल किया जाएगा. यह रकम करीब 40 अरब रुपये होगी. इसी तरह गैस की कीमतों में 214 फीसदी की बढ़ोतरी भी की जाएगी. आईएमएफ की दूसरी शर्त के तहत सरकार 28 फरवरी तक अपने आय-व्यय-बचत के रिकार्ड को संसद के समक्ष पेश करेगी.
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एफएटीएफ की शर्ते हैं कड़ी
तीसरी शर्त के तहत सरकार को स्टेट बैंक को स्वायत्त बनाने का विधेयक 31 मार्च तक संसद में पेश करना होगा. आईएमएफ की चौथी शर्त के तहत सरकार को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दो अहम प्रावधानों को सख्ती से लागू करना होगा जिसमें बैंकों को ग्राहकों द्वारा किए जा रहे लेन-देन पर सख्ती से निगरानी करने को कहा गया है और इस प्रावधान को लागू करने वाली संस्थाओं को बैंक गोपनीयता कानून के दायरे से बाहर रखने को कहा गया है.
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