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मुझे बलि का बकरा बनाया गया : अशरफ गनी

मुझे बलि का बकरा बनाया गया : अशरफ गनी

Updated on: 30 Dec 2021, 06:15 PM

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस साल की शुरूआत में तालिबान के करीब आने पर देश से भागने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा काबुल के विनाश को रोकने के लिए किया था।

बीबीसी की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

तालिबान ने अगस्त में राजधानी पर कब्जा करने के बाद पूरे देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।

अशरफ गनी ने खुलासा किया कि जब वह 15 अगस्त को उठे तो उन्हें कोई आभास नहीं था कि यह अफगानिस्तान में उनका आखिरी दिन होगा।

बीबीसी रेडियो 4 के कार्यक्रम में गनी ने कहा कि जब उनका विमान काबुल से रवाना हुआ तो उन्हें एहसास हुआ कि वह जा रहे हैं।

उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़ने के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। अपने देश छोड़ने के फैसले को सही बताते हुए अशरफ गनी ने बताया कि ये निर्णय उन्होंने देश को बचाने के लिए किया है। वह अब संयुक्त अरब अमीरात में हैं।

तीन महीने बाद, गनी का कहना है कि वह कुछ चीजों के लिए दोष लेने को तैयार हैं, जिसके कारण काबुल का पतन हुआ - जैसे अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में हमारा भरोसा।

गनी ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भरोसा किया था, हालांकि वह अब कहते हैं कि उनका जीवन अब तबाह हो चुका है और उन्हें बली का बकरा बनाया गया है।

अशरफ गनी ने बताया कि तालिबान ने इस बात पर सहमति जताई थी कि वो काबुल पर कब्जा नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

अशरफ गनी ने आगे बताया कि राष्ट्रपति की सुरक्षा के प्रमुख उनके पास घबराए हुए आए और कहा कि उनके पास काफी कम समय बचा हुआ है। तब उन्होंने खोस्त जाने की बात कही, मगर उन्हें बताया गया कि खोस्त और जलालाबाद पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है।

पूर्व राष्ट्रपति आगे बताते हैं कि उस वक्त उन्हें समझ नहीं आया कि वो कहां जाएंगे, लेकिन जब उनका विमान उड़ा, तब उन्हें पता चला कि वो अफगानिस्तान छोड़कर जा रहे हैं।

गनी के अनुसार, तालिबान के दो अलग-अलग गुट दो अलग-अलग दिशाओं से करीब आ रहे थे और उनके बीच एक बड़े पैमाने पर संघर्ष की संभावना बन गई थी, जो 50 लाख की आबादी वाले शहर को नष्ट कर देती और तबाही आ जाती, जो कि बहुत बड़ी हो सकती थी।

उनके अनुसार, राष्ट्रपति के भयभीत सुरक्षा प्रमुख उनके पास यह कहने के लिए आए कि यदि गनी ने एक स्टैंड लिया, तो वे सभी मारे जाएंगे।

गनी ने कहा, उन्होंने मुझे दो मिनट से ज्यादा नहीं दिया। रिपोर्ट के अनुसार, गनी ने कहा, मेरा निर्देश खोस्त के लिए प्रस्थान की तैयारी करने का था। उन्होंने मुझे बताया कि खोस्त पर कब्जा हो चुका है और साथ ही जलालाबाद पर भी कब्जा हो चुका है।

उन्होंने आगे कहा, मुझे नहीं पता था कि हम कहां जाएंगे। जब हमने उड़ान भरी, तो यह स्पष्ट हो गया कि हम (अफगानिस्तान) छोड़ रहे हैं। तो यह वास्तव में अचानक ही हुआ था।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की गलती मानने के साथ ही उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तहत तालिबान और अमेरिका के बीच किए गए समझौते की ओर इशारा किया, जिसने 15 अगस्त तक होने वाली घटनाओं का मार्ग प्रशस्त किया।

गनी ने कहा, शांति प्रक्रिया के बजाय, हमें वापसी की प्रक्रिया मिली। जिस तरह से सौदा हुआ, उसने हमें मिटा दिया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.