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उपराष्ट्रपति ने की खादी को राष्ट्रीय वस्त्र के रूप में अपनाने की अपील

उपराष्ट्रपति ने की खादी को राष्ट्रीय वस्त्र के रूप में अपनाने की अपील

Updated on: 01 Sep 2021, 01:30 AM

नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने खादी को राष्ट्रीय वस्त्र के रूप में अपनाने की नागरिकों से अपील की है। उन्होंने खादी को बढ़ावा देने के लिए, विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों से भी आगे आने के लिए कहा। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की ओर से मनाए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित खादी इंडिया क्विज प्रतियोगिता के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

नायडू ने सभी से खादी इंडिया क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने का आग्रह करते हुए प्रतियोगिता को अपनी जड़ों की ओर वापस ले जाने का एक रोचक माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि क्योंकि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों और हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के अद्वितीय योगदान का स्मरण कराती है।

उपराष्ट्रपति ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित दांडी मार्च के समापन समारोह में भाग लेने के लिए इस वर्ष 6 अप्रैल को अपनी दांडी यात्रा को याद किया। कहा कि दांडी मार्च में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए उन्हें भारतीय इतिहास के गौरवमयी क्षणों को फिर से जीने का अवसर मिला।

उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने उल्लेख किया कि किस तरह से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई में देश भर की जनता को प्रेरित किया। यह देखते हुए कि सभी मतों और सभी वर्गों के पुरुषों एवं महिलाओं ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया। नायडू ने कहा, यह वास्तव में मानव सभ्यता के इतिहास में एक अद्वितीय घटना थी।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मातंगिनी हाजरा, भगत सिंह, प्रीतिलता वाद्देदार, राजगुरु, सुखदेव और हजारों अन्य स्वाधीनता सेनानियों ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के सार्वलौकिक स्वप्न को साकार करने के लिए अपने जीवन का बलिदान करने से पहले दो बार नहीं सोचा। उन्होंने कहा, इन वीर पुरुषों और महिलाओं ने यह जानते हुए भी सर्वोच्च बलिदान दिया कि वे अपने सपने को हकीकत में बदलता देखने के लिए जीवित नहीं होंगे।

नायडू ने कहा कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम बदलाव और आशा की यात्रा थी जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, चाहे कितनी भी प्रतिकूल परिस्थिति क्यों न हो। उन्होंने कहा कि हमारे पास स्वतंत्रता सेनानियों से सीखने के लिए बहुत कुछ है, खासकर मातृभूमि के हितों को हर चीज से आगे रखने की भावना।

नायडू ने पिछले 7 वर्षों में खादी के अभूतपूर्व बदलाव पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसके विकास में तेजी लाने के लिए सरकार, केवीआईसी तथा अन्य सभी हितधारकों की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कहा, मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि केवीआईसी ने पूरे भारत में अपनी पहुंच स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है और लोगों को देश के दूर-दराज के कोनों में भी स्थायी स्वरोजगार गतिविधियों से जोड़ा गया है।

उपराष्ट्रपति ने खादी की ऐतिहासिक प्रासंगिकता को याद किया और कहा कि यह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनता को जोड़ने के लिए एक बंधनकारी शक्ति थी। नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1918 में गरीबी से पीड़ित जनता के लिए आय का एक स्रोत उत्पन्न करने के लिए खादी आंदोलन शुरू किया और बाद में उन्होंने इसे विदेशी शासन के खिलाफ एक शक्तिशाली प्रतीकात्मक उपकरण में बदल दिया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि खादी में शून्य कार्बन फुटप्रिंट है क्योंकि इसके निर्माण के लिए बिजली या किसी भी प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब दुनिया कपड़ों के क्षेत्र में स्थायी विकल्प तलाश रही है, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि खादी पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ वस्त्र के रूप में निश्चित ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती है।

उपराष्ट्रपति ने शैक्षणिक संस्थानों से यूनिफार्म के लिए खादी के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह न केवल छात्रों को खादी के कई लाभों का अनुभव करने का अवसर देगा बल्कि उन्हें हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों और स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास से जुड़ने में भी मदद करेगा। उन्होंने कहा, अपनी विशिष्ट झिरझिरटी बनावट के कारण खादी हमारी स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के लिए काफी उपयुक्त है।

नायडू ने युवाओं से खादी को फैशन स्टेटमेंट बनाने और उत्साह के साथ सभी के द्वारा इसके उपयोग को प्रोत्साहन देने की अपील की। इस मौके पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के सचिव बीबी स्वैन और अन्य मौजूद रहे।

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