कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मेकेदातु पदयात्रा को लेकर भाजपा सरकार और कांग्रेस पार्टी को फटकार लगाई है और नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को 14 जनवरी तक स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र प्रसाद द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया गया है।
हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी), रामनगर जिला आयुक्त और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को नोटिस जारी किया है।
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की। सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पीठ ने सवाल किया कि क्या सरकार इस संबंध में कार्रवाई करने में असमर्थ है।
पीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह 14 जनवरी तक स्पष्ट करे कि उन्होंने रैली को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने सरकार की लाचारी पर भी सवाल उठाया।
पीठ ने यह भी सवाल किया है कि कांग्रेस ने कोविड के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कैसे किया और रैली को अंजाम दिया। अदालत ने पदयात्रा के समय पर सवाल उठाया और उन्हें 14 जनवरी को जवाब देने का निर्देश दिया।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पीठ ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि राज्य पहले से ही कोविड संकट से प्रभावित है और ऐसा कैसे हो सकता है जो जनता के हित के खिलाफ हो।
सिद्धारमैया ने अदालत की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनके वकील अदालत में उनका प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा, कांग्रेस की पदयात्रा के कारण कोविड नहीं फैल रहा है। यह सरकार की लापरवाही के कारण फैल रहा है। हम इंतजार करेंगे और इस संबंध में अदालत के आदेश को देखेंगे।
कांग्रेस ने बेंगलुरु और आसपास के क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए मेकेदातु परियोजना के त्वरित कार्यान्वयन की मांग करते हुए 10 दिवसीय पदयात्रा निकाली है। तमिलनाडु ने इस परियोजना पर आपत्ति जताई है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
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Source : IANS