पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि, देश में समलैंगिक विवाह पर बहस के महत्वपूर्ण पहलू और निर्णायक कारक में जनता की नब्ज (राय) को समझना जरुरी है।
उन्होंने मीडियाकर्मी के सवाल के जवाब में कहा- आम तौर पर, मैं उन लोगों से प्यार करती हूं जो दूसरों से प्यार करते हैं। लेकिन चूंकि इस मुद्दे से संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए इस समय इस मुद्दे पर टिप्पणी करना मेरे लिए सही नहीं होगा। मामला संवेदनशील है। मैं बस इतना कह सकती हूं कि हमें इस मामले में लोगों की नब्ज को समझना होगा।
बनर्जी ने यह भी कहा कि इस मामले पर कोई विस्तृत टिप्पणी अदालत के आदेश के बाद ही दी जा सकती है। उनका अवलोकन उसी दिन आया है जब शीर्ष अदालत ने देखा कि समान-लिंग विवाह दिखाने के लिए कोई डेटा नहीं है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा उजागर किया गया अभिजात्य अवधारणा है। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि राज्य किसी व्यक्ति के खिलाफ उस विशेषता के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है जिस पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं है, और जो कुछ जन्मजात है उसका वर्ग पूर्वाग्रह नहीं हो सकता है।
अब तक, सीपीआई-एम को छोड़कर, सभी विपक्षी दलों ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सतर्क रुख बनाए रखा है। केवल सीपीआई-एम की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ही हैं जिन्होंने खुले तौर पर कहा है कि उनकी पार्टी समलैंगिक संबंध रखने वाले व्यक्तियों के अपने रिश्ते की स्थिति को कानूनी रूप से मान्यता देने के अधिकार का समर्थन करती है।
हालांकि इतने शब्दों में नहीं लेकिन मुख्यमंत्री ने बुधवार को इस मुद्दे पर छोटी-मोटी टिप्पणियां की हैं।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS