आखिर कैसे धर्मांध तालिबान के कब्जे से गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूपों को भारत लाया गया?

आखिर कैसे धर्मांध तालिबान के कब्जे से गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूपों को अफगानिस्तान से दिल्ली लाया गया. 15 अगस्त को गुरु ग्रंथ साहिब के दो स्वरूप पहले गुरु नानक दरबार जलालाबाद से काबुल के करते परवान साहिब लाए गए.

आखिर कैसे धर्मांध तालिबान के कब्जे से गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूपों को अफगानिस्तान से दिल्ली लाया गया. 15 अगस्त को गुरु ग्रंथ साहिब के दो स्वरूप पहले गुरु नानक दरबार जलालाबाद से काबुल के करते परवान साहिब लाए गए.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
Taliban1

धर्मांध तालिबान के कब्जे से गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाया( Photo Credit : फाइल फोटो)

अफगानिस्तान में फिर 'तालिबानी राज' हो गया है. आखिर कैसे धर्मांध तालिबान के कब्जे से गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूपों को अफगानिस्तान से दिल्ली लाया गया. इलजीत सिंह ने न्यूज नेशन से बातचीत में बताया कि 15 अगस्त को गुरु ग्रंथ साहिब के दो स्वरूप पहले गुरु नानक दरबार जलालाबाद से काबुल के करते परवान साहिब लाए गए. तालिबान के कब्जे को देखते हुए गुरु ग्रंथ साहिब को बेअदबी से बचाने के लिए गुरु नानक दरबार जलालाबाद में 14 अगस्त को रात में मीटिंग हुई. 15 अगस्त की सुबह 4 बजे गुरु साहिब के स्वरूप के साथ निकलना तय हुआ, लेकिन बाहर सड़क पर हालत सामान्य नहीं थे. लगातार फायरिंग हो रही थी.

Advertisment

15 अगस्त आठ बजे दो स्वरूप के साथ तीन सिख जलालाबाद से निकले

कुलतार सिंह गुरु नानक दरबार, जलालाबाद में मुख्य सेवादार के बेटे इलजीत सिंह ने न्यूज नेशन को बताया कि आठ बजे अरदास करके गुरुनानक दरबार जलालाबाद से गुरु महाराज के दो स्वरूप के साथ करते परवान साहिब की ओर रवाना हुए. दो गाड़ियों में गुरु साहिब के दो स्वरूप रखे गए. तीन सिख जो साथ थे- कुलतार सिंह, साहिब सिंह और दिलीप सिंह.

publive-image

जलालाबाद से काबुल का सफर 

जलालाबाद से काबुल का सफर मुश्किल दो घंटे का होता है, लेकिन 15 अगस्त को ये सफर करीब 12 घंटे हो गया. तीन सिख गुरु ग्रंथ साहिब के दो स्वरूप लेकर आठ बजे निकले, पर रात साढ़े सात बजे ही कारते परवान साहिब गुरुद्वारा पहुंचे.

वजह थी- रास्ते पर पब्लिक ही पब्लिक थी. भारतीय, दूसरे देशों के लोग सब के सब अपने घर जाने को बेताब थे. सड़कें जाम थीं. तीनों सिख भूखे प्यासे 12 घंटे गुरु ग्रथ साहिब के दो स्वरूपों को गोद में लेकर बैठे रहे. तालिबान के अतीत को देखते हुए उनके मन में बहुत सारी आशंकाएं थीं. तालिबान ने रास्ते में कई जगह चेकिंग और तहकीकात की, लेकिन उन्हें जाने दिया पर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई.

गुरुद्वारा करते परवान से एयरपोर्ट का सफर

गुरुनानक दरबार, जलालाबाद से दो स्वरूप 15 अगस्त को साढ़े सात बजे पहुंच गए थे. उनके साथ एक और स्वरूप को गुरुद्वारा करते परवान साहिब से हिदुस्तान लाया जाना था. पर ये इतना आसान नहीं था. एयरपोर्ट पर बहुत भीड़ थी. बाहर तालिबान के लड़ाके थे. सिख रोज एयरपोर्ट जाते रहे, पर कोई इंतजाम न होने के चलते वापस जाते रहे. आखिर कल गुरु महाराज के तीन स्वरूप का निकलना तय हुआ.

संगत ने तय किया कि गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप सबसे पहले जाएंगे, ताकि धर्मांध तालिबान के चलते उनकी बेअदबी न हो. कल सुबह 11 बजे करते परवान साहिब से तीन स्वरूप  को लेकर संगत निकली. एयरपोर्ट पहुंच कर पता चला कि अभी जाना संभव नहीं है. पहले ताशकंद कल शाम साढ़े पांच बजे पहुंचे. आज सुबह वहां से दिल्ली के लिए रवाना हुए.

अभी बंद है ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरुनानक दरबार

अभी दो दिन पहले तक इस गुरुद्वारा साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब के दो छोटे स्वरूप के जरिये पाठ हो रहा था, पर अब वो भी करते परवान साहिब आ गए. अब वहां कोई संगत नहीं बची. जलालाबाद में मौजूद ये ऐतिहासिक गुरुद्वारा अभी बिलकुल बंद है.

Source : Arvind Singh

Afghanistan to India afghanistan crisis fanatic Taliban three forms of Guru Granth Sahib
      
Advertisment