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पुलवामा के एक साल: क्या हुआ था उस दिन, जब एक साथ देश के 40 वीर शहीद हुए थे

14 फरवरी का दिन पूरी दुनिया में वैलेनटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. लेकिन भारत के लिए यह एक काला दिवस है. क्योंकि इसी दिन 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था.

Updated on: 14 Feb 2020, 08:55 AM

नई दिल्ली:

14 फरवरी का दिन पूरी दुनिया में वैलेनटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. लेकिन भारत के लिए यह एक काला दिवस है. क्योंकि इसी दिन 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. आइए जानते हैं कि उस दिन क्या हुआ था.

14 फरवरी को 2019 को गुरुवार का दिन था. दोपहर 3:30 बज रहे थे. सीआरपीएफ से संबंधित 78 बसें करीब 2500 जवानों को लेकर नेशनल हाईवे 44 से गुजर रही थी. हमेशा की तरह यह काफिला बिना दूसरे वाहनों की आवाजाही रोके बिना ये काफिला आगे बढ़ रहा था. बसों में बैठे कई जवान छुट्टी से अपने घर जा रहे थे. इसी हाईवे पर दो दिन पहले भी आतंकी सीआरपीएफ के जवानों पर हमले को अंजाम दे चुके थे. जिसके कारण हर कोई सतर्क था.

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तभी एक कार ने सड़क की दूसरी तरफ से आकर इस काफिले के साथ चल रही बस में टक्कर मार दी. इसके साथ ही एक जबरदस्त धमाका हुआ. बस के साथ जवानों के शरीर के परखच्चे कई मीटकर दूर तक छिटक गए. इससे पहले जवान कुछ समझ पाते या हमले का जवाब दे पाते तभी आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. सीआरपीएफ की जवाबी कार्रवाई के दौरान आतंकी वहां से भागने में सफल हो गए.

जब चारो ओर फैला धुंआ छटा चो वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था. हर ओर मांस के टुकटे और खून पड़ा था. जवान अपने साथी जवानों की तलाश कर रहे थे. कुछ ही देर में ये खबर मीडिया के जरिए पूरे देश में आग की तरफ फैल गई. घटना के बाद चारो तरफ गम और गुस्से का माहौल था. सीआरपीएफ की 76वी बटालियन के 40 जवान शहीद हो गए. इसके साथ ही कई जवान घायल हो गए. जिन्हें तुरंत आर्मी बेस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.

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पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. विस्फोटक से भरी कार को बस से टकराने वाले आतंकी की पहचान आदिल अहमद के के रूप में हुई. 22 साल का आदिल दो साल पहले इस आतंकी संगठन के साथ जुड़ा था.

1989 के बाद जवानों पर हुआ ये सबसे बड़ा हमला था. इस हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इसके साथ ही ये सवाल भी उठा कि आखिर इतने बड़े जवानों को ले जाते समय आखिर निजा वाहनों को क्यों नहीं रोका गया.