आजकल देश तब्लीग़ी जमात को लेकर बवाल मचा हुआ है. एक दिन पहले ही तब्लीग़ी जमात के निजामुद्दीन स्थित मुख्यालय से 2300 से अधिक जमातियों को बहार निकलकर अस्पताल भिजवाया गया था. आइये आज जानते हैं तब्लीग़ी जमात दुनिया भर में कहाँ-कहाँ फैला हुआ है. इनके बारे में कहा जाता है कि ये किसी सामाजिक या सांस्कृतिक काम मे हिस्सा नहीं लेते, इसलिए कहा जाता है कि ये ज़मीन नहीं बल्कि ज़मीन से 6 फिट नीचे (क़ब्र) या ज़मीन से ऊपर आसमान (जन्नत, जहन्नम) की ही बात करते हैं. इसके लिए खुद मुसलमानों का बड़ा तबका इनकी आलोचना भी करता है.
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तबलीग़ जमात पूरी दुनिया मे मुसलमानों की सबसे बड़ी संगठन है. 150 से ज़्यादा देशों में तबलीग़ जमात से जुड़े लोग मौजूद हैं. भारत से बाहर, अमेरिका,यूके, यूरोप,मलेशिया,सऊदी अरब, यूएई, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत 150 देश मे तबलीग़ जमात के लोग हैं. एक अंदाज़े के मुताबिक पूरी दुनिया मे इस जमात से 15 करोड़ लोग जुड़े हैं. ये जमात अभी कोरोना को लेकर विवादों में है, लेकिन इससे पहले ये इज्तिमा को लेकर विवादों में रही है.
अभी दिल्ली दंगा से पहले 22-24 फरवरी को दिल्ली के ईदगाह में इज्तिमा कर विवादों में रहे थे, तब सीएए को लेकर दिल्ली का माहौल खराब था. इससे पहले बुलंदशहर हिंसा से पहले भी वहां बड़ी तादाद में तबलीग़ जमात के लोग जमा हुए थे, जिसपर कई हिन्दू संगठनों ने एतराज़ जताया था.
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अभी इसी साल फरवरी में नेपाल में इज्तिमा हुआ था, जिसमें भारत, पाकिस्तान समेत दुनिया भर से 50 लाख से ज़्यादा लोग जुटे थे. ये जमात दूसरे धर्म के लोगों के बीच प्रचार प्रसार नहीं करती, बल्कि मुसलमानों को नमाज़ और धर्म पर चलने की बात करती है. कहा जाता है कि तबलीग़ जमात में वर्चस्व को लेकर अंदरूनी खींचतान चल रही थी, जिसकी वजह से ये जमात दो धड़ों में बंट चुका है.
इस खींचतान की वजह जमात को लीड करने को लेकर है. मौलाना साद के दादा मौलाना इलियास ने इस जमात की स्थापना की थी, इसलिए मौलाना साद जमात पर अपना दावा ठोकते हैं, हालांकि जमात का कोई चीफ नहीं है,जमात का मजलिस शूरा है जो रणनीति बनाते हैं.
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ये जमात बिना किसी प्रचार तंत्र के लोगों को जोड़ने की ताकत रखता है. बिना किसी पब्लिसिटी के मैन टू मैन कांटेक्ट से ये लाखों की भीड़ जमा कर सकते हैं. निज़ामुद्दीन में जिस जगह पर इसका मुख्यालय है. वहां रोज़ाना एक वक्त में 5000 से ज़्यादा लोग मौजूद होते हैं. सबका खाना वहीं बनता है. मुफ़्त खाना खिलाया जाता है. विदेश से जब कोई जमात भारत आती है तो सबसे पहले मरकज़ पहुंचती है. यहीं से उनका रुट तय किया जाता है. ज़रूरत के मुताबिक ट्रांसलेटर की व्यवस्था भी की जाती है
पाकिस्तान के कई पूर्व क्रिकेटर जैसे सईद अनवर, इंज़माम वगैरह, जो अब तब्लीगी जमात के सदस्य हैं, इस मरकज़ में आते रहे हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबलीग़ जमात से जुड़े लोगों की बड़ी संख्या है. इस जमात से जुड़े लोगों का कोई रिकार्ड मेंटेन नहीं किया जाता, न ही कोई रजिस्ट्रेशन होता है. हर देश, हर राज्य, हर ज़िले, हर गांव का एक अमीर (चीफ) होता है, जो निज़ामुद्दीन मरकज़ से दिए मैसेज को करोड़ों तब्लीगी सदस्यों तक पहुंचाते हैं.
Source : Sajid Ashraf