कोरोना की लड़ाई में कैसे योद्धा बने हैं सीएम योगी, सुबह 4 बजे से ही आ जाते हैं 'एक्शन मोड' में
जब दुनिया में कोरोना को लेकर कोहराम मचा है, तब देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) इस लड़ाई में अव्वल नजर आ रहा है. अधिक आबादी होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों से कम केस आना लोगों को चौंका रहा है.
नई दिल्ली:
जब दुनिया में कोरोना को लेकर कोहराम मचा है, तब देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) इस लड़ाई में अव्वल नजर आ रहा है. अधिक आबादी होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों से कम केस आना लोगों को चौंका रहा है. लोगों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यूपी में ऐसा क्या हो रहा है कि दुनिया के कई देशों से भी अधिक आबादी वाला यह प्रदेश काफी हद तक वायरस को काबू करने में सफल रहा है. दरअसल यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) खुद योद्धा बनकर मैदान में उतर पड़े हैं. जब लोग नींद में होते हैं तब तक योगी बिस्तर छोड़ चुके होते हैं. वह सुबह चार बजे से लेकर देर रात तक 'मिशन मोड' में रहते हैं.
जब कई राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन के दौरान अपने आवासों में बैठकर कोरोना की लड़ाई का संचालन कर रहे थे, तब योगी नोएडा तक की दौड़ लगाकर बैठकें करते दिखे.
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने आईएएनएस से कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों ही नहीं हम मंत्रियों को भी टाइट कर रखा है. वीडियो कांफ्रेंसिंग से लेकर आवास पर भी बुलाकर बैठकें लेते हैं. वह प्रभारी मंत्रियों से जिले ही नहीं बल्कि ब्लॉक और थाने स्तर तक की जानकारी पूछते हैं. निचले स्तर तक उनकी निगाह होने के कारण हर मंत्री और अफसर अलर्ट मोड में काम कर रहे हैं."
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जिस तरह से साल 2017 में उन्होंने 'दस्तक' मुहिम चलाकर पूर्वांचल के जिलों में हर साल सैकड़ों बच्चों की जान लेने वाले इंसेफ्लाइटिस के खिलाफ जंग छेड़ी थी, कुछ उसी तरह वह कोविड 19 को भी मात देने में लगे हैं. योगी के निर्देशन में काम कर रहे अफसरों को भरोसा है कि जिस तरह से गंभीर चुनौती बने इंसेफ्लाइटिस को काबू करने में सरकार ने सफलता पाई, उसी तरह से कोरोना की लड़ाई में भी विजय मिलेगी.
उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतने सवाल करते हैं कि लापरवाह अफसर भी अब होमवर्क करना सीख गए हैं. लापरवाही में नोएडा के डीएम को जब उन्होंने चुटकियों में हटा दिया तो फिर ब्यूरोक्रेसी में संदेश गया कि काम करो नहीं तो खैर नहीं होगी.
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक स्टाफ ने बताया, "वह हमेशा की तरह सुबह चार बजे सोकर उठ जाते हैं. ध्यान, योग और पूजा पाठ करते हैं. तब तक उनकी मेज पर हिंदी और अंग्रेजी के प्रमुख अखबार लग जाते हैं. योगी सुबह साढ़े सात बजे से लेकर आठ बजे के बीच अखबार पढ़ना शुरू करते हैं. अगर अखबार में कोई गंभीर खबर रहती है,तो उसी समय संबंधित अधिकारियों को फोन मिलाकर क्लास लगाते हैं. इस बीच सुबह नौ बजे तक प्रदेश के शीर्ष अफसर, पांच कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच जाते हैं."
लोकभवन जाने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आवास पर ही डीजीपी हितेश अवस्थी से जहां पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था की अपडेट लेते हैं. वहीं अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी व प्रमुख सचिवों के साथ भी प्रदेश के हालात पर चर्चा करते हैं. पूरे प्रदेश का हाल जान लेने के बाद योगी आदित्यनाथ साढ़े नौ बजे तक ब्रेकफास्ट करते हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं, "यूपी में कोरोना की लड़ाई इसलिए सफल दिख रही है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे हैं. वह कुछ होने का इंतजार करने की बजाए पहले ही एहतियातन कदम उठाने में यकीन रखते हैं. उनके प्रो-ऐक्टिव तेवर कई बार दिखे हैं. मिसाल के तौर पर नोएडा और मुरादाबाद का मामला लीजिए. जहां समय रहते उन्होंने सख्त कदम उठाए."
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि जमीन से जुड़ाव होने की वजह से योगी को हर हकीकत पता रहती है. उन्हें कोई व्यक्ति या अधिकारी कभी भ्रम में नहीं रख सकता. वह हमेशा जिले के अफसरों को टीम वर्क से काम करने के लिए प्रेरित करते हैं. कोरोना के खिलाफ मुहिम में सफलता के पीछे ऐसे कई कारण हैं.
लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, 5 कालिदास मार्ग के सरकारी आवास से ही कार्य निपटाते थे. मगर पिछले कुछ दिनों से वह लोकभवन में बैठने लगे हैं.
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, लोकभवन जाने के बाद वह सुबह साढ़े दस बजे से कोरोना की लड़ाई के लिए गठित स्पेशल टीम-11 की मीटिंग लेते हैं. वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के नेतृत्व में गठित 11 कमेटियों के कार्यों की वह रिपोर्ट लेने के साथ समीक्षा करते हैं. जरुरत पड़ने पर टीम प्रमुखों और सदस्यों को निर्देशित भी करते हैं. लोकभवन के कांफ्रेंस में दो से तीन घंटे तक रोजाना बैठकर मीटिंग लेते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोपहर दो बजे लोकभवन से फिर 5 कालिदास मार्ग आवास लौटते हैं. लंच करने और कुछ समय आराम के बाद फिर शाम चार बजे से एक्शन मोड मोड में आते हैं. दिन के दूसरे चरण में योगी आदित्यनाथ का ज्यादातर फोकस ग्राउंड रिपोर्ट लेने में होता है. वह लॉकडाउन के पालन में संतोषजनक श्रेणी वाले जिलों के डीएम का जहां उत्साह बढ़ाते हैं, वहीं असंतोषजनक जिलों के अधिकारियों को कमियों को दूर करने का निर्देश देते हैं.
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सभी 75 जिलों के अधिकांश डीएम से वह इस दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग से रूबरू होते हैं. अगर निजी रूप से किसी को हिदायत देनी होती है तो उस डीएम के सीयूजी पर फोन करते हैं. इससे अफसरों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ता है कि मुख्यमंत्री खुद जिले की हालात पर नजर रखे हुए हैं. मुख्यमंत्री बनने के 16 महीने में ही पूरे प्रदेश का दौरा करने का रिकॉर्ड बनाने वाले योगी आदित्यनाथ जिलों के डीएम से कुछ सवाल कर उन्हें चौंका भी देते हैं.
मसलन, अगर वह अयोध्या के डीएम को फोन करते हैं तो फिर वहां पहले कुछ मंदिरों का नाम लेकर हाल पूछेंगे. फिर पूछेंगे मंडियों की क्या स्थिति है. फिर यह भी पूछेंगे कि अमुक स्थान पर बंदर ज्यादा रहते हैं, उनके लिए आप क्या कर रहे हैं? इसी तरह वह पीलीभीत, गोरखपुर, बलिया से लेकर बरेली तक जिलों के डीएम का फोन घनघनाकर एक-एक सवाल कर प्रशासन के इंतजामों का हाल जानते हैं.
शाम चार बजे से लेकर रात 8 से नौ बजे तक वह इसी तरह एक्शन मोड में रहते हैं. इस समय तक वह पूरे प्रदेश में बने क्वारंटाइन सेंटर्स, वहां रहने वालों की संख्या, कम्युनिटी किचेन सर्विस लेकर जिलों में राशन आदि के वितरण से जुड़े आंकड़े मालुम करते रहते हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री विभिन्न प्लेटफॉर्म पर आई शिकायतों की भी मानीटरिंग करते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह चार बजे से लेकर देर रात तक एक्शन में रहते हैं. सोने का समय उनका निश्चित नहीं रहता, लेकिन 4 बजे जागने का जरूर निश्चित रहता है. व्यवस्थाओं से इत्मिनान होने के बाद वह सोने जाते हैं. कभी 12 बजे सोने जाते हैं तो कभी उससे भी लेट.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार आईएएनएस से कहते हैं, "पूर्वांचल के जिलों में इंसेफ्लाइटिस को काबू में करने की लड़ाई योगीजी लड़ चुके हैं. वह लंबे समय से आधुनिक सुविधाओं वाला एक बड़ा धर्मार्थ अस्पताल भी संचालित करते रहे हैं. इसलिए स्वास्थ्य व्यवस्था और बीमारियों के नियंत्रण को लेकर जो उन्हें जमीनी अनुभव है, उसका कोई जोड़ नहीं है. कोविड 19 को काबू में करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी अनुभव बहुत काम आ रहा है."
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