जानिये, कैसे भारत तरसा सकता है पानी के लिये पाकिस्तान को

कहते हैं बिन पानी सब सून, पाकिस्तान के भविष्य पर अब भारत प्यास, सूखा और त्रासदी की ऐसी लकीर खींचने की तैयारी में है कि नवाज सरकार से लेकर, पाक आर्मी, आईएसआई और आतंक के आका त्राहिमाम कर उठेंगे।

कहते हैं बिन पानी सब सून, पाकिस्तान के भविष्य पर अब भारत प्यास, सूखा और त्रासदी की ऐसी लकीर खींचने की तैयारी में है कि नवाज सरकार से लेकर, पाक आर्मी, आईएसआई और आतंक के आका त्राहिमाम कर उठेंगे।

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pradeep tripathi
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जानिये, कैसे भारत तरसा सकता है पानी के लिये पाकिस्तान को

कहते हैं बिन पानी सब सून, पाकिस्तान के भविष्य पर अब भारत प्यास, सूखा और त्रासदी की ऐसी लकीर खींचने की तैयारी में है कि नवाज सरकार से लेकर, पाक आर्मी, आईएसआई और आतंक के आका त्राहिमाम कर उठेंगे। उरी हमले का जवाब भयावह होगा इसे लेकर भारत में सेना से लेकर सरकार तक ऐलान कर चुकी है। आइये जानते हैं इस समझौते के बारे में -

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इंडस वाटर ट्रीटी क्या है

भारत ने 1960 में पाकिस्तान के साथ इंडस वाटर ट्रीटी की थी। इस ट्रीटी के मुताबिक, भारत अपनी 6 नदियों से पाकिस्तान को पानी देना था। पाकिस्तान को भारत करार में तय मात्रा से से ज्यादा पानी दे रहा है।

इस ट्रीटी पर उस वक़्त के पीएम जवाहर लाल नेहरू और पाक प्रेसिडेंट जनरल अयूब खान ने साइन किए थे।

इसके मुताबिक, भारत पाक को अपनी सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज, व्यास और रावी नदी का पानी देगा। इन नदियों का 80 फीसदी से ज्यादा पानी पाकिस्तान को मिलता है।

पाकिस्तान पर असर

डस वाटर ट्रीटी के बदौलत ही पाकिस्तान अपनी जरूरत का 60 फीसदी पानी भारत से लेता है। लेकिन भारत ने मजबूत इरादे के साथ अगर संधि की समाप्त किया तो ये पानी पाकिस्तान के लिए बीते दिनों की बात हो जायेगी।

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इस ट्रीटी को रद्द करने से पाकिस्तान का की खेती पूरी तरह तबाह हो जाएगी। क्योंकि, यहां खेती बारिश पर नहीं, बल्कि इन नदियों के पानी पर ही निर्भर है। भारत का ये फैसला पाकिस्तान के लिए हर आतंकी साजिश का करारा जवाब होगा।

आपको बता दें कि 2005 में इंटरनेशल वाटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट और टाटा वाटर पॉलिसी प्रोग्राम ने ट्रीटी को खत्म करने का सुझाव दिया था। इनकी रिपोर्ट के मुताबिक ट्रीटी की वजह से जम्मू-कश्मीर को हर साल 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। इस ट्रीटी के रद्द हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर की घाटी में 20000 मेगावाट से भी ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है।

Source : मधुरेंद्र कुमार

Indus Water Treaty INDIA
      
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