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आखिर कैसे हुई थी पंडित दीन दयाल उपाध्याय की मृत्यु, जनसंघ को दी थी नई ऊंचाई

सियालदाह एक्सप्रेस जब मुगलसराय रेलवे स्टेशन पहुंची तो उसमें दीन दयाल उपाध्याय नहीं थे. उनका शव ट्रेन आने के करीब 10 मिनट बाद मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नजदीक मिला था.

Updated on: 11 Feb 2021, 09:29 AM

highlights

  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि आज
  • उपाध्याय की पुण्यतिथि को समर्पण दिवस के रूप में मनाएगी बीजेपी
  • 11 फरवरी 1698 को मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नजदीक मिला था शव

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (पूर्व में भारतीय जनसंघ पार्टी) के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज (11 फरवरी) पुण्यतिथि है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे. भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना साल 1951 में हुई थी. अपने राजनीतिक सफर में वे भारतीय जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष भी रहे. सनातन विचारधारा से संबंध रखने वाले दीन दयाल सशक्त भारत का सपना देखते थे. भारतीय जनता पार्टी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के मौके पर देशभर में 11 फरवरी को समर्पण दिवस के रूप में मनाएगी.

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1951 में भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना की. पंडित दीन दयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ पार्टी के सह-संस्थापक थे. सनातन विचारधारा वाले दीन दयाल भारत को पश्चिमी विचारों का पिछलग्गू नहीं बनने देना चाहते थे. 1953 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निधन के बाद पंडित दीन दयान के कंधों पर जनसंघ की सभी जिम्मेदारियां आ गई थीं. हालांकि, वे इस जिम्मेदारी से एक इंच भी पीछे नहीं हटे और पार्टी को मजबूत बनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. उपाध्याय के नेतृत्व में जनसंघ ने नए मुकाम हासिल किए. देश की आम जनता तक जनसंघ की राजनीतिक विचारधारा पहुंचाने में पंडित दीन दयाल का बहुत बड़ा योगदान रहा. यही वजह है कि बाद में भारतीय जनता पार्टी ने भी उनके विचारों को अपना लिया.

पंडित दीन दयाल उपाध्याय की मृत्यु 11 फरवरी, 1968 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुई थी. दीन दयाल ने 10 फरवरी की शाम को लखनऊ से पटना जाने के लिए सियालदाह एक्सप्रेस पकड़ी थी. उनकी ट्रेन आधी रात करीब 2.10 बजे मुगलसराय पहुंची थी. सियालदाह एक्सप्रेस जब मुगलसराय रेलवे स्टेशन पहुंची तो उसमें दीन दयाल उपाध्याय नहीं थे. उनका शव ट्रेन आने के करीब 10 मिनट बाद मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नजदीक मिला था. दीन दयाल के हाथ में 5 रुपये का नोट था. उन्हें आखिरी बार आधी रात के बाद जौनपुर में देखा गया था.

दीय दयान उपाध्याय की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई ने अपनी जांच के बाद रिपोर्ट दी. जिसमें उन्होंने बताया कि उस रात मुगलसराय रेलवे स्टेशन में प्रवेश करने से ठीक पहले कुछ लुटेरों ने उन्हें ट्रेन से बाहर धकेल दिया था. उसी कोच में सफर कर रहे एक अन्य यात्री ने उस वक्त एक शख्स को देखा था जिसकी पहचान भरत लाल के रूप में हुई थी. सीबीआई ने बाद में भरत लाल और उसके एक सहयोगी राम अवध को हत्या और चोरी के मामले में गिरफ्तार कर लिया. भरत लाल और राम अवध ने पूछताछ में बताया कि दीन दयाल ने उन्हें बैग चोरी करते हुए देख लिया था और पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी थी. जिसके बाद उन्होंने दीन दयान को ट्रेन से धक्का मारकर बाहर गिरा दिया था.