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कैसे हुई थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत? आज तक क्यों बना हुआ है रहस्य

18 अगस्त, 1945 के बाद से सुभाष चंद्र बोस का जीवन और मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है. 18 अगस्त, 1945 को उनका जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जो ओवरलोड था.

Updated on: 22 Jan 2021, 04:47 PM

नई दिल्ली:

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम किरदार निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की 23 जनवरी को 125वीं जयंती है. नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक (Cuttack, Odisha) में हुआ था. उस समय कटक बंगाल प्रेसिडेंसी (Bengal Presidency) का हिस्सा हुआ करता था. इस साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) को देखते हुए सभी पार्टियां नेताजी की जयंती को धूमधाम से मनाने की तैयारियों में जुटी हुई है.

देश की आजादी में अहम किरदार निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शनिवार को 125वीं जयंती मनाई जाएगी. नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक (Cuttack, Odisha) में हुआ था. उस समय कटक बंगाल प्रेसिडेंसी (Bengal Presidency) का हिस्सा हुआ करता था. हालांकि, उनकी मृत्यु कब और कैसी हुई, ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है.

18 अगस्त, 1945 के बाद से सुभाष चंद्र बोस का जीवन और मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है. 18 अगस्त, 1945 को उनका जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जो ओवरलोड था. यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी. उस हादसे में नेताजी बच गए थे या मारे गए थे, इसके बारे में आज तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है.

नेताजी के ज्यादातर विमान दुर्घटना वाली थ्योरी को तथ्यहीन मानकर स्वीकार नहीं करते हैं. हादसे के बाद से ही सुभाष चंद्र बोस के निधन को लेकर तरह-तरह की थ्योरी सामने आईं और लंबे समय तक जारी रहीं. आजादी के बाद भारत सरकार नेताजी की मृत्यु की जांच के लिए तीन बार आयोग का गठन कर चुकी है. जिनमें से दो ने आयोग तो पुष्टि कर चुकी है कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी, जबकि जापान सरकार ने दावा किया था कि उस दिन फोर्मोसा में कोई विमान हादसा ही नहीं हुआ था.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी, 2015 को नई दिल्ली स्थित नेशनल आर्काइव्स में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 100 फाइलें सार्वजिनक की थी. प्रधानमंत्री ने इन फाइलों का डिजिटल वर्जन जारी किया था. इससे पहले नवंबर 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का रहस्यमय तरीके से लापता होना और इससे संबंधित मामलों में करीब 39 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था.