कैसे हासिल हुआ..'100 करोड़' वाला करिश्मा ?
आत्मनिर्भर भारत की उपलब्धि की सुनहरी तस्वीर आज पूरे देश ने देखी। लाल किले से लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में तिरंगे की गौरवशाली उड़ान का जश्न मनाया गया। दरअसल ये कोरोना की खौफनाक कड़वी यादों के बाद सफलता की मिठास है। वजह बेहद खास है। भारत में कोरोना
नई दिल्ली:
आत्मनिर्भर भारत की उपलब्धि की सुनहरी तस्वीर आज पूरे देश ने देखी. लाल किले से लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में तिरंगे की गौरवशाली उड़ान का जश्न मनाया गया. दरअसल ये कोरोना की खौफनाक कड़वी यादों के बाद सफलता की मिठास है. वजह बेहद खास है। भारत में कोरोना के खिलाफ 100 करोड़ टीकाकरण काा ऐतिहासिक रिकार्ड पूरा हो चुका है. 16 जनवरी से शुरु हुए अभियान को वक्त के साथ धार मिली है। शुरुआत धीमी रही, लेकिन वक्त के साथ टीकाकरण अभियान को रफ्तार मिली. 16 जनवरी 2021 से शुरू हुए टीकाकरण की औसत दैनिक टीकाकरण यानि रोज़ाना दिए जाने वाले टीके की बात करें तो 16 जनवरी से 20 जून के बीच जहां 17.73 लाख लोगों को टीका दिया गया था. वहीं 21 जून से लेकर 21 अक्टूबर के बीच ये तीन गुना से ज्यादा बढ़कर 61.12 लोगों तक पहुंच गया। इसी का नतीजा है कि मुल्क ने 100 करोड़ की उपलब्धि हासिल कर ली है.
कोरोना वॉरियर्स का खून-पसीना लगा
इस मुकाम तक पहुंचने में लाखों कोरोना वॉरियर्स का खून-पसीना लगा है. इन्हीं कोरोना वॉरियर्स का अथक प्रयास है जिन्होंने तमाम चुनौतियों को पार करते हुए देश के दूरदराज इलाकों में भी पहुंचकर सरकार की कोशिशों को सफल बनाया. ये सफलता उन लाखों स्वास्थ्यकर्मी, स्कूल शिक्षक, हिन्दुस्तान के लाखों गांवों में रहने वाली आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के नाम है, जिन्होंने चुपचाप बिना किसी पब्लिसिटी की चाहत के इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाया। कोरोना महामारी के दौरान इन्होंने अपने आंखों के सामने साथियों की मौत देखी लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी. इन्हीं की कोशिशों की वजह से हिन्दुस्तान ने इतिहास रचा है.
भारत टीकाकरण में महाद्वीपों से आगे
इन्हीं स्वास्थ्यकर्मियों की वजह से भारत टीकाकरण में महाद्वीपों से आगे है. आज भारत में औसत दैनिक टीकाकरण 30.07 लाख है, वहीं दक्षिण अमेरिका में 20.23 लाख, उत्तरी अमेरिका में 18.49 लाख, अफ्रीका में 12.68 लाख और यूरोपीय संघ में 6.71 लाख है. 100 करोड़ वैक्सीन डोज की उपलब्धि बेमिसाल है. भारत के टीकाकरण के मुकाम की दूसरे देशों से तुलना करें तो अमेरिका में 41.01 करोड़, ब्राजील में 26.02 करोड़, जापान में 18.21 करोड़, जर्मनी में 11.12 करोड़ और रूस में 9.98 करोड़ डोज लगे हैं. बेशक इन तमाम देशों की आबादी भारत के मुकाबले काफी कम है लेकिन फिर भी उपलब्धि बड़ी है. ये 9 महीने की मेहनत का परिणाम है. इस उपलब्धि की बाकी देशों से तुलना करें तो भारत में अमेरिका की आबादी से 3 गुना ज्यादा, ब्राजील से 5 गुना ज्यादा, जर्मनी से 10 गुना, फ्रांस से 15 गुना, कनाडा से 25 गुना और यूएई से 100 गुना ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है. जिस मुल्क में गरीबी है, अशिक्षा है, अंधविश्नास है, वहां कोरोना वैक्सीन को लेकर हर तबके का भरोसा जीतना भी आसान नहीं था। ज़मीन पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी ही थे, जिन्होंने लोगों को भरोसा जीता है.
100 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया
ये वक्त अपनी उपलब्धियों पर नाज करने का है. लेकिन अभी भी चुनौतियां कम नहीं हैं। भारत में अभी 31 फीसदी आबादी को ही डबल डोज लगा है. यूपी, बिहार जैसे बड़े राज्यों समेत झारखंड में महज 12% आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हुई है। बच्चों को भी वैक्सीन लगाने की बड़ी चुनौती है. चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है हालांकिं बढ़ते वक्त के साथ भरोसा भी कायम हुआ है. भरोसा है कि जिस तरह 100 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया है उसी तरह वैक्सीनेशन से जुड़ी बाकी गंभीर चुनौतियों पर भी जीत हासिल कर लेंगे.
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