Chandrayaan 3 Launch: किस तरह से चांद की कक्षा में पहुंचेगा चंद्रयान-3, जानें पूरी प्रक्रिया 

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट जीटीओ (GTO)आर्बिट में छोड़ा है. यह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में जाएगा.

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Mohit Saxena
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Chandrayaan 3

Chandrayaan 3 ( Photo Credit : social media )

Chandrayaan-3: चंद्रयान की सफल लॉचिंग हो चुकी है. अब यह धीरे-धीरे चांद की ओर बढ़ने की प्रक्रिया में है. बताया जा रहा है कि यह 23-24 अगस्त के बीच किसी भी वक्त चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास उतरेगा. LVM3-M4 रॉकेट चंद्रयान-3 को 179 किलोमीटर के ऊपर तक ले जा चुका है. इसके बाद चंद्रयान-3 को आगे की यात्रा के लिए अंतरिक्ष में धकेला जा चुका है. इस पूरे काम में रॉकेट को मात्र 16:15 मिनट का समय लगा. इस बार चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट ने जीटीओ (GTO) आर्बिट में छोड़ा है. यह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में जाएगा. पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45,575 किलोमीटर की कक्षा में यान को प्रवेश कराया गया था. इस बार ज्यादा स्थिरता देने के लिए इस कक्षा का चुनाव किया गया. 

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इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार, धरती और चंद्रमा के 5-5 चक्कर लगाएगा. चांद की ओर जाने से पहले चंद्रयान-3 धरती के चारों ओर कम से कम पांच चक्कर लगाएगा. हर चक्कर पहले से बड़ा होने वाला है. ऐसा इंजन को आन करने पर किया जाएगा. 

5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में 

चंद्रयान-3 को लंबा सफर तय करना है. ट्रांस लून इंसरशन (TLI) कमांड की मदद ये सफर तय होगा. TLI को 31 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा. चंद्रमा करीब साढ़े पांच दिनों तक का सफर तय करेगा. चंद्रमा की आउटर कक्षा में वह पांच अगस्त के आसपास प्रवेश करेगा. यह आकलन तभी सही होने वाला है, जब सबकुछ सामान्य स्थिति में होगा. इस दौरान किसी तरह की कोई तकनीकी गड़बड़ी न आए. 

23 अगस्त को लैंडिंग प्रक्रिया होगी शुरू 

चंद्रयान-3 की लैंडिंग प्रक्रिया 23 अगस्त से शुरू होगी. यान चंद्रमा की  100X100 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश करेगा. इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होगा. उन्हें 100 किलोमीटर X 30 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाने का प्रयास होगा. 23 अगस्त को चंद्रयान—3 को धीमी गति का कमांड दिया जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह पर उतरेगा. 

लैंडिंग साइट का क्षेत्र बढ़ाया 

इस बार विक्रम लैंडर के चारों पैरों की ताकत को और बढ़ाया गया है.  नए सेंसर्स भी फिट गए हैं. इसके साथ नया सोलर पैनल भी चंद्रयान में लगाया गया है. चार साल पहले चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर X 500 मीटर था. इसकी कुछ सीमाएं थीं. इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 x 2.5 किलोमीटर तक रखा गया है. चंद्रयान-3 बड़े क्षेत्र में विक्रम लैंडर को उतार सकता है. 

Source : News Nation Bureau

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