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जानकारी के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 5700 के करीब रोहिंगिया की जानकारी एजेंसियों के पास है। सूत्रों के मुताबिक रोहिंगिया समुदाय की संख्या अकेले जम्मू कश्मीर राज्य में 11 से 13 हजार तक हो सकती है।
गृह मंत्रालय देश भर में अवैध तरह से रह रहे रोहिंगिया घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से निकालने की योजना पर काम कर रहा है। रोहंगिया घुसपैठियों के मसले पर सोमवार को गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में गृह सचिव राजीव महृषि के साथ जम्मू कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी ने भी हिस्सा लिया।
पिछले कुछ महीनों से लगातार रोहिंगिया के जम्मू में हजारों की तादात में बसने की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को मिल रही थीं। अब जबकि यह मामला अदालत की दहलीज पर है, तब जाकर केंद्र और राज्य सरकार की नींद टूटी है।
जानकारी के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 5700 के करीब रोहिंगिया की जानकारी एजेंसियों के पास है। सूत्रों के मुताबिक रोहिंगिया समुदाय की संख्या अकेले जम्मू कश्मीर राज्य में 11 से 13 हजार तक हो सकती है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देशभर में करीब 40 हजार से ज्यादा रोहिंगिया घुसपैठिया हो सकते हैं। गृह मंत्रालय की मीटिंग में ये सवाल भी उठा की सीमाओं से रोहिंगिया की घुसपैठ कैसे संभव हुई।
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इसके साथ ही साथ इस सवाल का जवाब भी खोजने की कोशिश की गई की म्यांमार या बांग्लादेश से आये रोहिंगिया इन दोनों देशों के बॉर्डर से इतनी दूर कैसे जम्मू कश्मीर में आकर बसे।
गौरतलब है कि रोहिंगिया के भारत में आने के तीन ही रास्ते हो सकते हैं, एक समुद्र के जरिये, दूसरा बांग्लादेश बॉर्डर से और तीसरा म्यांमार के रास्ते, लेकिन ये तीनो रास्ते जम्मू कश्मीर से काफी दूर है। गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक जो भी भारत में अवैध तरीके से रह रहा है वो खतरा है।
अब सरकार की पहली समस्या इनको पहचानकर और फिर इनको कैसे वापस भेजा जाए इस पर एक प्लान तैयार करने की है। क्योंकि म्यामार आसानी से इन रोहिंगिया को वापस लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।
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Source : News Nation Bureau