रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा, संख्या की जानकारी नहीं : गृह मंत्री
भारत में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान 1980 और 1990 से रह रहे हैं जिन्हें यहां रहते हुए करीब 20 साल से अधिक समय हो चुका है. यूएनएचसीआर से रजिस्टर्ड भारत में रहने वाले रोहिंगियों की कुल संख्या 14000 है.
highlights
- म्यांमार में रोहिंग्या पर अत्याचार के खिलाफ प्रस्ताव पास
- 193 देशों में से 134 ने समर्थन किया
- रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा
नई दिल्ली :
रोहिंग्या भारत के लिए बड़ी सिरदर्द बन चुके हैं. वह देश में बिना किसी दस्तावेज़ के इंट्री करते हैं और यहां अवैध गतविधियों में संलिप्त हो जाते है. वहीं, इनके बार में 11 फ़रवरी 2020 को गृह राज्य मंत्री ने कहा कि अवैध घुसपैठिये बिना किसी दस्तावेज़ के भारत मे इंट्री करते हैं, इसलिए इनकी संख्या का कोई रिकार्ड नहीं है. 25 जून 2019 को भी नित्यानंद राय ने रोहिंग्या की संख्या के बारे में कोई रिकार्ड नहीं होने की बात कही थी, उन्होंने लोकसभा में किये गए सवाल के जवाब में कहा, चूंकि अवैध प्रवासी देश में वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना चोरी-छिपे और छलपूर्वक प्रवेश कर जाते हैं अतः देश में रह रहे ऐसे प्रवाससयों की संख्या के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
40 हज़ार रोहिंग्या का अनुमान
भारत में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान 1980 और 1990 से रह रहे हैं जिन्हें यहां रहते हुए करीब 20 साल से अधिक समय हो चुका है. यूएनएचसीआर से रजिस्टर्ड भारत में रहने वाले रोहिंगियों की कुल संख्या 14000 है. एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में कुल 40000 रोहिंगिया हैं. ये रोहिंगिया जम्मू , हैदराबाद , हरियाणा , उत्तर प्रदेश , दिल्ली -एनसीआर और राजस्थान में अलग अलग जगहों पर रहते हैं. भारत में सबसे ज्यादा रोंहिग्या जम्मू में बसे हैं, यहां करीब 10,000 रोंहिग्या रहते हैं.
रोहिंग्या मुस्लिम Illegal activities में शामिल
लोकसभा में 11 फ़रवरी 2020 को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि कुछ रोहिंग्या मुस्लिम illegal activities में शामिल हैं. नित्यानंद राय से पूछा गया था कि क्या रोहिंग्या के लिंक पाकिस्तान के आतंकी संगठन से हैं.
रोहिंग्या पर राज्यों को केंद्र सरकार का अलर्ट
जून 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर समेत सभी राज्य सरकारों को अवैध आप्रवासियों को रोकने के निर्देश दिए थे .इन आप्रवासियों में म्यांमार से आने वाले रोहिंग्या भी शामिल हैं. केंद्र की चिट्ठी में रोहिंग्या और अन्य विदेशी आप्रवासियों को लेकर गहरी चिंता जताई गई थी , जो गैरकानूनी ढंग से जम्मू कश्मीर समेत भारत के अन्य इलाकों में रह रहे हैं. मंत्रालय ने कहा था की , "गैरकानूनी ढंग से रह रहे ये आप्रवासी सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं." मंत्रालय ने कहा, "ऐसी भी खबरें मिली हैं कि कई रोहिंग्या और अन्य विदेशी लोग अपराध, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों, मनी लॉड्रिंग, फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसे कामों में शामिल हैं.
ये भी कहा गया था की इनमें से कई फर्जी पैन कार्ड और वोटर कार्ड के साथ देश में रह रहे हैं. इनमें ज्यादातर लोगों ने गैर-कानूनी ढंग से देश में प्रवेश किया है. इसलिए हमें पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है." निर्धारित जगहों पर ही इन्हें रखा जाए. इनकी गतिविधियों और कामकाज पर पुलिस और खुफिया एजेंसियां सख्त निगरानी रखें. इन सभी की निजी जानकारी का ब्यौरा रखा जाए. इसमें नाम, जन्मतिथि, सेक्स, जन्मस्थान, राष्ट्रीयता आदि की जानकारी शामिल होनी चाहिए.
अवैध ढंग से रह रहे रोहिंग्या समेत अन्य गैरकानूनी आप्रवासियों का बायोमैट्रिक परीक्षण भी किया जाना चाहिए, ताकि ये भविष्य में अपनी पहचान न बदल सकें. इसके साथ ही ये सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी रोहिंग्या शरणार्थी को आधार कार्ड या अन्य कोई दस्तावेज न जारी किए जाए. रोहिंग्या समेत विदेशी शरणार्थियों का निजी डाटा म्यांमार सरकार के साथ साझा किया जाए ताकि इनकी राष्ट्रीयता का सही पता चल सके.
रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा
सितंबर 2017 में भारत सरकार ने रोहिंग्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा था कि रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए एक खतरा हैं. सरकार ने आशंका जताई थी कि इनका कट्टरपंथी वर्ग भारत में बौद्धों के खिलाफ हिंसा फैला सकता है. कुछ रोहिंग्या मुसलमान, आंतकवादी समूहों से जुड़े हैं जो जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात क्षेत्र में अधिक सक्रिय हैं. इन क्षेत्रों में इनकी पहचान भी की गई है. सरकार ने आशंका जताई थी कि कट्टरपंथी रोहिंग्या भारत में बौद्धों के खिलाफ भी हिंसा फैला सकते हैं.
खुफिया एजेंसियों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि इनका संबंध पाकिस्तान और अन्य देशों में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से है और ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकते हैं.
सीएए ने बंद किया रोहिंग्या को नागरिकता का रास्ता
सिटिज़नशिप अमेंडमेंट ऐक्ट के बाद रोहिंगिया मुस्लिम के नागरिकता का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो गया है. नए क़ानून के मुताबिक़ पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से धार्मिक अत्याचार के शिकार हिंदू ,सिख, बौद्ध ,जैन ,पारसी और ईसाई को ही नागरिकता मिलेगी. इन सभी रोहिंगिया मुसलमानों को या तो वापस जाना होगा या फिर भारत सरकार इन्हें डिटेंशन कैम्प में ही रखेगी.
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