उत्तरी दिल्ली अधीन छह अस्पतालों को केंद्र को सौंपने का प्रस्ताव स्थायी समिति ने किया खारिज

उत्तरी दिल्ली अधीन छह अस्पतालों को केंद्र को सौंपने का प्रस्ताव स्थायी समिति ने किया खारिज

उत्तरी दिल्ली अधीन छह अस्पतालों को केंद्र को सौंपने का प्रस्ताव स्थायी समिति ने किया खारिज

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IANS
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Hindu Rao

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक में आज हाल ही में उठी छह अस्पतालों को केंद्र सरकार को सौपने के प्रस्ताव को समिति ने खारिज कर दिया है। समिति ने यह साफ कर दिया है कि उनकी इस तरह की कोई मंशा नहीं है निगम अपने अस्पतालों की देखभाल करने में सक्षम हैं।

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दरअसल निगम के अधीन दिल्ली के छह अस्पताल आते हैं, जिसमें 97 बिस्तर वाला गिरधारी लाल, 150 बिस्तर वाला महार्षि वाल्मिकी, करीब 900 से अधिक बिस्तर वाला हिंदूराव अस्पताल है वहीं 450 बिस्तर वाला कस्तूरबा अस्पताल, 650 से अधिक बिस्तर वाला राजनबाबू टीबी शामिल है। इसके अलावा 100 बिस्तर वाला बालकराम अस्पताल भी है।

जानकारी के मुताबिक, इन छह अस्पतालों में निगम के बजट का 50 फीसदी से अधिक खर्च होता है जिसमें अस्पतालों के रखरखाव व कर्मचारियों के वेतन शामिल है।

हालांकि यह पहली बार नहीं जब इन अस्पतालों को केंद्र सरकार को सौंपने की बात उठी हो, इससे पहले तीन बार ऐसा हो चुका है और तीसरी बार यह प्रस्ताव खारिज किया गया।

निगम के अनुसार, वह अस्पतालों को चलाने में सक्षम है वहीं न तो वह इन अस्पतालों को दिल्ली सरकार को देंगे और न ही केंद्र सरकार को।

स्थायी समिति के चेयरमैन जोगी राम जैन ने कहा कि, हम अस्पतालों को चलाने में सक्षम है। हम अपने सफाई कर्मचारियों के जुलाई और अगस्त का वेतन दे रहें हैं और शायद हमने टीचर्स का भी वेतन जुलाई का दे दिया है।

आम आदमी पार्टी इनको बेचने की बात करती है जबकि इसपर अभी प्रस्ताव आया था।

दरअसल हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने निगम की वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों के वेतन को लेकर एक याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें इस मसले पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था।

हालांकि इसके बाद उत्तरी निगम आयुक्त ने स्थायी समिति के सामने अस्पतालों को केंद्र कप सौपने वाला प्रस्ताव रखा था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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