हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बुजुर्गो के मनोरंजन के लिए कुल 198 पंचवटी हर्बल पार्क और उद्यान स्थापित किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अधिसूचित पंचवटी योजना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 2020 में खेल क्षेत्रों के साथ ऐसे पार्क स्थापित करने के लिए शुरू की गई थी।
चूंकि इन इन पार्को को संबंधित ग्राम पंचायतों द्वारा मुख्य रूप से बुजुर्ग लोगों के लिए बनाया जाएगा, इसलिए इन्हें उनकी फिटनेस और स्वास्थ्य में सुधार के लिए डिजाइन किया जाएगा। पार्को के लिए 217 अन्य स्थानों की पहचान की जा रही है।
इन पार्को में ग्राम पंचायतों द्वारा वृद्धजनों के मनोरंजन के उपकरण व पैदल चलने के रास्तों के साथ आयुर्वेदिक व औषधीय पौधे भी लगाए जा रहे हैं। पार्को में सोलर लाइट, जॉगिंग ट्रैक, शौचालय और योग व ध्यान कक्षाएं आयोजित करने के लिए विशेष स्थान भी हैं।
सिरमौर जिले के नाहन विकासखंड के महिपुर ग्राम पंचायत में निर्मित पंचवटी उपवन बेचार का बाग सभी आयु वर्ग के लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है।
यह पार्क 120 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और इसमें एक लॉन, एक जॉगिंग ट्रैक और बच्चों के लिए एक खेल क्षेत्र है, जिसमें बुजुर्गो के लिए बैठने की उपयुक्त व्यवस्था है। पार्क की घेराबंदी भी की गई है और जागरूकता के लिए पर्यावरण संरक्षण के संदेशों के साथ नारे भी लगाए गए हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 2020-21 में 965 लाख रुपये की लागत से लगभग 198 पंचवटी पार्क बनाए जा रहे हैं, जबकि 2021-22 में ऐसे पार्को के निर्माण के लिए लगभग 217 स्थानों की पहचान की गई है।
ऊना जिले में 97 पंचवटी पार्क बनाए जाएंगे, इसके बाद कांगड़ा जिले में 37, शिमला में 23, मंडी में 12 और कुल्लू में आठ पार्क बनाए जाएंगे।
मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और 14वें वित्त आयोग के बजट प्रावधानों से लगभग 10 लाख रुपये की लागत से पार्क और उद्यान बनाए जाएंगे।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नागरिकों के लिए अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था के अलावा, सुशोभित करने के लिए पार्को में छायादार घास (लॉन) भी उगाई जाएगी।
पार्को का उपयोग ग्राम स्तर पर अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए स्वयं सहायता समूहों के स्थानीय उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए भी किया जाएगा।
ये पार्क राज्य के सभी 78 प्रखंडों में एक बीघा से लेकर दो बीघा तक की भूमि में स्थापित किए जाएंगे। उनके रखरखाव का प्रबंधन स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं द्वारा किया जाएगा।
जनजातीय क्षेत्रों में पार्क क्षेत्र लगभग एक बीघा होगा, जबकि निचली पहाड़ी क्षेत्र में उपयुक्त भूमि की पहचान या उपलब्धता के आधार पर क्षेत्र का दायरा दो बीघा या उससे अधिक तक बढ़ाया जा सकता है।
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Source : IANS