हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हो चुके है। बीजेपी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की वहीं कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली है। बीजेपी ने आसानी से सरकार बनाते हुए बहुमत प्राप्त का आंकड़ा प्राप्त कर लिया। कांग्रेस की करारी हार के पीछे यह मुख्य कारण रहे हैं।
हार के पीछे मुख्य कारण:-
1. हिमाचल में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण चुनाव प्रचार में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम मात्र योगदान होना रहा। चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी का पूरा ध्यान गुजरात पर देखने को मिला।
जहां एक ओर बीजेपी ने प्रचार के दौरान पूरी ताकत झोंकते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां आयोजित की, वहीं कांग्रेस ने प्रचार के दौरान कुछ खास दम नहीं दिखाया। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा किसी और ने पार्टी के लिए जमकर रैलियां नहीं की।
2. कार्यकर्ताओं में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व से काफी नाराजगी थी। पार्टी ने भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उनकी तकदीर के हवाले छोड़ दिया। हालांकि वीरभद्र सिंह तथा उनका परिवार शुरूआत से ही कहता रहा कि यह सब उनको कमजोर करने की साजिश है।
3. वहीं राज्य में सरकार विरोधी माहौल भी कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बना। राज्य में हमेशा से चुनावो में देखा गया है कि सत्ता पक्ष को हार का सामना करना पड़ता है और विपक्ष सत्ता में आती है। एसे में पार्टी में फूट की खबरों और सफल नेतृत्व की कमी की वजह से जनता में काफी रोष देखने को मिला है।
4. वीरभद्र सरकार पर लगातार भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों पर कांग्रेस के आलाकमान की लगातार चुप्पी भी हार का प्रमुख कारण रही है।
5.प्रवर्तन निदेशालय ने जब वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया तब बीजेपी ने वीरभद्र सिंह के इस्तीफे की मांग की थी, लेकिन वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर कांग्रेस ने चुप्पी साधे रखी। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी के पास वीरभद्र के अलावा कोई और बेहतर उम्मीदवार नहीं था।
इसके अलावा कोटखाई केस जेसे पेचीदा मामले की कारवाई में दिखाई गई लापरवाही से भी कांग्रेस ने महिलाओं तथा युवाओं के काफी वोट गवांए।
6. हिमाचल प्रदेश शिक्षा में अव्वल श्रेणी का राज्य है पर रोजगार के अवसरों में भारी कमी देखने को मिली है। राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत से राष्ट्रीय पुरस्कार जीते है। लेकिन रोजगार के लिए सरकार के द्वारा उचित कदम न उठाने की वजह से पिछले 5 सालो में लोगों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ा है।
7. कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान राज्य में सेब का व्यापार मंदा रहा है। हिमाचल जैसे राज्य में जहां लाखो लोगों की आय सेब की फसल पर निर्भर करती है वहां वीरभद्र सरकार के दौरान सेब की फसल पर अधिकतम व्यापार मूल्य (MSP) में मात्र 0.25 पैसे की वृद्धि की गई है।
Source : News Nation Bureau