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नगालैंड मुठभेड़ की जांच के लिए हाई लेवल पैनल, क्या हटाया जाएगा AFSPA

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने इस बारे में ट्वीट कर इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया. साथ ही प्रदेश के सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.

Updated on: 27 Dec 2021, 10:20 AM

highlights

  • नगालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक भी इस पैनल का हिस्सा होंगे
  • देश की सेना ने एक बार फिर नगालैंड में हुई घटना पर अफसोस जाहिर किया
  • सीएम नेफियू रियो ने प्रदेश के सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की 

New Delhi:

केंद्र सरकार ने नगालैंड में आर्मी फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) को हटाए जाने की मांग पर रविवार को एक पैनल गठित कर दिया. नगालैंड में अफस्पा यानी सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम को लेकर कई दशकों से विवाद चल रहा है. इसको वापस लेने पर विचार करने के लिए केंद्र ने एक हाई लेवल समिति बनाने का फैसला किया है.  इस पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्षता गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अफसर विवेक जोशी करेंगे. जोशी फिलहाल रजिस्ट्रॉर जनरल और सेंसेस कमिश्नर ऑफ इंडिया के पद पर तैनात हैं.

नगालैंड सरकार के आधिकारिक बयान में बताया गया कि गृह मंत्री अमित शाह के साथ 23 दिसंबर को हुई बैठक के बाद अफस्पा को वापस लेने पर विचार करने वाली एक समिति गठित करने का फैसला लिया गया. बैठक में अमित शाह के अलावा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, नगालैंड के डिप्टी सीएम वाई पैटन और एनपीएफएलपी नेता टीआर जेलियांग शामिल थे. नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने इस बारे में ट्वीट कर इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया. साथ ही प्रदेश के सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.

45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा हाई लेवल पैनल

नेफियू रियो ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि नगालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक भी इस पैनल का हिस्सा होंगे. वहीं, इस हाई लेवल पैनल को 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. रियो ने गृह मंत्री आमित शाह के साथ बैठक में इस पैनल के गठन की मांग की थी. पैनल की रिपोर्ट के आधार पर  नगालैंड से अशांत क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ाने और अफस्पा को वापस लेने की पहल की जाएगी. इसी रिपोर्ट के आधार पर ओटिंग मुठभेड़ में शामिल सेना की यूनिट की भी विभागीय जांच आगे बढ़ेगी.

मोन जिले में हुई थी 14 आम नागरिकों की मौत

इस महीने की शुरुआत में नगालैंड के मोन जिले में असम राइफल्स की तरफ से उग्रवादी समझकर चलाई गई गोली से 14 आम नागरिकों की मौत के बाद से वहां स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. सरकारी मुआवजे को ठुकराते हुए मृतकों के परिजनों ने कुछ शर्तें रखी थी. उसमें एक अहम शर्त अफस्पा को हटाया जाना शामिल है. वहीं इस कानून के खिलाफ उग्र आंदोलन को फिर से हवा मिल गई है. इस पैनल के गठन से कुछ घंटे पहले सेना ने एक बार फिर नगालैंड में हुई घटना पर अफसोस जाहिर किया. सेना की ओर से कहा गया है कि इस मुठभेड़ की हाई लेवल जांच चल रही है. बहुत तेजी से की जा रही जांच का परिणाम जल्द ही आ जाएगा.

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क्या है सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम 

सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम भारतीय संसद द्वारा 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था. अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैण्ड के ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सैन्‍य बलों को शुरू में इस विधि के अंतगर्गत विशेष शक्तियां प्राप्त थीं. कश्मीर घाटी में आतंकवादी घटनाओं में बढोतरी होने के बाद जुलाई 1990 में यह विधि सशस्त्र बल (जम्मू एवं कश्मीर) विशेष शक्तियां अधिनियम, 1990 के रूप में जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया गया. हालांकि राज्‍य के लद्दाख क्षेत्र को इस विधि की सीमा से बाहर रखा गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 अप्रैल 2018 को मेघालय से इस अधिनियम को हटा लिया था.