सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की पवित्र तपोस्थली हेमकुंड साहिब की यात्रा बारिश के अलर्ट के चलते अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई थी, लेकिन गुरुवार सुबह मौसम साफ होते ही शुरू कर दी गई। फिलहाल, घांघरिया से 450 तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए हैं।
दरअसल, गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब में मौसम साफ है। जिसे देखते हुए प्रशासन ने हेमकुंड साहिब की यात्रा खोल दी है। बीते रोज घांघरिया मुख्य बाजार के ठीक सामने पहाड़ टूटा था। हालांकि, इसमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन एहतियातन यात्रा रोक दी गई थी।
मौसम के मिजाज को परखने के लिए सुबह चार बजे से यात्रियों को गोविंदघाट और घांघरिया में रोका गया था, लेकिन सवेरा होने पर मौसम साफ नजर आया। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन ने प्रशासन से अनुमति लेकर यात्रा शुरू करवा दी है।
वहीं, गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह यात्रा शुरू होते ही हेमकुंड साहिब धाम के लिए गोविंदघाट से 535 तीर्थयात्री घांघरिया के लिए रवाना हुए। जबकि, घांघरिया से 450 तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए। उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब मार्ग सुचारू है। बीते 22 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुले थे। इससे पहले भी जब बर्फबारी हुई थी, तब यात्रा रोकी गई थी।
हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। हेमकुंड साहिब विश्वभर में सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है, जो समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर है, जो हेमकुंड साहिब की बर्फिली वादियों व हेमकुंड झील के तट पर बसा लक्ष्मण मंदिर है, जो लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
हिमालय की गोद में बसे हेमकुंड साहिब में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। हेमकुंड साहिब चारों ओर से पथरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा है। यहां का सफर काफी मुश्किल है। हेमकुंड साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बफीर्ले रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
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Source : IANS