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हेलीकाप्टर घोटाला : रतुल पुरी की जमानत रद्द करने पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

अदालत में पुरी की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि एक बार जमानत मिल जाने के बाद, उसे रद्द करने के लिए व्यक्ति का जमानत के उपरांत का चरित्र देखना होता है .

Updated on: 13 Dec 2019, 09:02 PM

नई दिल्‍ली:

अगस्ता वेस्टलैंड अति विशिष्ट हेलीकाप्टर घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे तथा व्यापारी रतुल पुरी ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रवर्तन निदेशालय की उस अपील का विरोध किया जिसमें जांच एजेंसी ने उनकी जमानत रद्द करने का अनुरोध किया है . अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आज फैसला सुरक्षित रख लिया. पुरी के अधिवक्ताओं ने न्यायमूर्ति सुरेश कैत के समक्ष दलील दी कि पुरी की जमानत रद्द करने के लिए अथवा निचली अदालत के दो दिसंबर के फैसले को पलटने के लिए कोई बड़ा साक्ष्य नहीं है. निचली अदालत ने दो दिसंबर को पुरी को जमानत दी थी.

उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत में पुरी की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि एक बार जमानत मिल जाने के बाद, उसे रद्द करने के लिए व्यक्ति का जमानत के उपरांत का चरित्र देखना होता है . अधिवक्ताओं ने यह भी दलील दी कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ऐसे सभी मामलों में गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने और उन्हें प्रभावित करने संबंधी एक ही तर्क देता है और यह उनकी आदत बन गयी है . उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि दुबई से वापस भेजे जाने के बाद यहां गिरफ्तार किये गये राजीव सक्सेना का बयान पुरी के खिलाफ मामले का आधार है.

हालांकि, अब जांच एजेंसी ने सक्सेना को एक अविश्वसनीय गवाह करार दिया है और वह उसकी स्थिति को अनुमोदनकर्ता के रूप में बदलना चाहता है तथा उसे दी गई जमानत को भी रद्द कर सकता है. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अदालत में पेश हुए केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अमित महाजन ने दलील दी कि पुरी को जमानत देने में जांच एजेंसी के विरोधों पर निचली अदालत ने विचार नहीं किया. जांच एजेंसी ने तर्क दिया कि पुरी को जमानत देना निचली अदालत की मनमानी थी. अधिवक्ता ने कहा कि पुरी मामले के गवाहों को प्रभावित करने तथा साक्ष्यों को नष्ट्र करने में सक्षम हैं और एजेंसी के इन तर्कों पर निचली अदालत ने विचार नहीं किया.

निदेशालय ने अदालत को बताया कि पुरी की अग्रिम जमानत याचिका इस कारण से खारिज कर दी गयी थी कि वह गवाहों को प्रभावित एवं साक्ष्यों को नष्ट कर सकते हैं और इसी आधार पर उनकी नियमित जमानत मंजूर नहीं की जानी चाहिए. निचली अदालत ने चार सितंबर से प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में बंद पुरी को जमानत देते हुए उन्हें साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने तथा गवाहों से संपर्क नहीं करने अथवा उन्हें प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया था. मौजूदा अति विशिष्ट हेलीकाप्टर घोटाला मामले में पुरी का नाम प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर छठे आरोप पत्र में शामिल है . अदालत ने यह पाया कि ‘‘वर्तमान आरोपियों की भूमिका के समान या उससे अधिक भूमिका वाले सह-आरोपी पहले से ही जमानत पर हैं.’’ भाषा रंजन रंजन नरेश नरेश