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भीमा कोरेगांव (फोटो-PTI)
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भीमा कोरेगांव (फोटो-PTI)
महाराष्ट्र के लिए साल की शुरूआत हिंसा से हुई थी और अगले कुछ महीने तक यह मामला कुछ ना कुछ कारणों से लगातार चर्चा में बना रहा. पिछले साल एक जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा को एक साल पूरे होने जा रहे है. इसके मद्देजर पुणे पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किये है. सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने पहली जनवरी के दिन संवेदनशील इलाकों में प्रशासनिक असधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए है. पुणे पुलिस ने हिन्दू राइट विंग के नेता मिलिंद एकबोटे कबीर कला के सदस्यों को युद्ध स्मारक और आसपास के इलाकों में जाने के लिए सख्त मना किया है. पुलिस अधीक्षक संदीप पाटिल ने कहा, 'धारा 144 (2) के तहत कई लोगों को नोटिस जारी किया गया है. इसके साथ ही कोरेगांव भीमा इलाके में उनकी एंट्री सख्त मना है. पुणे पुलिस ने भी 1 जनवरी को इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा की तैनाती के साथ अन्य बंदोबस्त किए हैं.'
राइट विंग के नेता संभाजी भिड़े, मिलिंद एकबोटे पर हिंसा भड़काने का आरोप है. वहीं कबीर कला के कुछ सदस्य एलगार परिषद आयोजित कराने में शामिल थे. पुलिस के मुताबिक, माओवादी द्वारा फंड किये गए कॉन्क्लेव के दौरान भड़काऊ भाषण से हिंसा भड़क उठी थी. भीम आर्मी चीफ और दलित नेता चंद्रशेकर आज़ाद की शहर में रैली को दी गई अनुमति के सवाल पर पुलिस ने कहा कि शनिवार को इसपर फैसला लाया जाएगा.
क्या है मामला ?
पिछले साल 31 दिसंबर को गिरफ्तार लोगों ने पुणे के शनिवारवाड़ा में एलगार परिषद आयोजित किया था. यह परिषद ब्रिटिश सेना और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर आयोजित की गई थी. इस आयोजन को गुजरात के दलित नेता व विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और भीम सेना के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने संबोधित किया था. इसके एक दिन बाद (एक जनवरी को) कोरेगांव-भीमा में जातीय दंगे भड़के थे.
Source : News Nation Bureau