Advertisment

उत्तर-पश्चिम, मध्य, दक्षिण-मध्य भारत भीषण गर्मी के देश के नए हॉटस्पॉट

उत्तर-पश्चिम, मध्य, दक्षिण-मध्य भारत भीषण गर्मी के देश के नए हॉटस्पॉट

author-image
IANS
New Update
heatwave

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

भारत के उत्तर-पश्चिमी, मध्य और दक्षिण-मध्य क्षेत्र पिछली आधी सदी में भीषण गर्मी की घटनाओं के नए हॉटस्पॉट हैं, एक अध्ययन में कहा गया है कि हाल के वर्षो में घातक भारतीय हीटवेव में वृद्धि हुई है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में मंगलवार को कहा गया है कि अध्ययन में तीन हीटवेव हॉटस्पॉट क्षेत्रों में निवासियों के बीच विभिन्न कमजोरियों पर ध्यान देने के साथ प्रभावी हीट एक्शन प्लान विकसित करने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

हीटवेव एक घातक स्वास्थ्य खतरे के रूप में उभरा है, जिसने हाल के दशकों में दुनियाभर में हजारों लोगों के जीवन का दावा किया है, भारत में भी पिछली आधी शताब्दी में आवृत्ति, तीव्रता और अवधि में एपिसोड मजबूत हुए हैं। इससे स्वास्थ्य, कृषि, अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लाइमेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है, ऐसे परिदृश्य में तत्काल नीति हस्तक्षेप और कड़े शमन और अनुकूलन रणनीतियों को प्राथमिकता देने के लिए देश के सबसे अधिक गर्मी की चपेट में आने वाले क्षेत्रों की पहचान करना बेहद महत्वपूर्ण है।

शोधकर्ताओं के एक दल ने प्रो. आर.के. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के महामना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट चेंज रिसर्च (एमसीईसीसीआर) के सौम्या सिंह और निधि सिंह सहित मॉल और अन्य ने पिछले सात दशकों में हीटवेव और गंभीर हीटवेव में स्थानिक और अस्थायी रुझानों में बदलाव का अध्ययन किया।

भारत के विभिन्न मौसम विभाग की विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस काम को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के तहत समर्थन दिया गया है।

अध्ययन में गंगीय पश्चिम बंगाल और बिहार के पूर्वी क्षेत्र से भारत के उत्तर-पश्चिमी, मध्य और दक्षिण-मध्य क्षेत्र में हीटवेव घटनाओं के अनुपात-अस्थायी प्रवृत्ति में बदलाव दिखाया गया है।

अनुसंधान के निष्कर्ष में बताया गया है कि पिछले कुछ दशकों में दक्षिण की ओर खतरनाक विस्तार और गंभीर हीटवेव घटनाओं में एक स्थानिक वृद्धि देखी है जो पहले से ही कम दैनिक तापमान रेंज (डीटीआर), या अंतर की विशेषता वाले क्षेत्र में एक दिन के भीतर अधिकतम और न्यूनतम तापमान और उच्च आद्र्रता के बीच गर्मी का तनाव जोखिम में डाल सकता है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि महत्वपूर्ण रूप से, हीटवेव/गंभीर हीटवेव घटनाओं को ओडिशा और आंध्र प्रदेश में मृत्युदर के साथ सकारात्मक रूप से सहसंबद्ध पाया गया, यह दशार्ता है कि मानव स्वास्थ्य गंभीर हीटवेव आपदाओं के लिए अतिसंवेदनशील है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment