विकास दुबे एनकाउंटर की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को लेकर सुनवाई जारी है. यूपी सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने विकास दुबे और उसके साथियों द्वारा पुलिसकर्मियों की हत्या की घटना का ब्यौरा रखा. उन्होंने कहा कि विकास के खिलाफ 65 FIR थी. यूपी पुलिस ने पहले ही उसके एनकाउंटर वाले केस की न्यायिक जांच का आदेश दिया हुआ है. जिसकी जांच जारी है.
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कोर्ट की टिप्पणी
ये मामला हैदराबाद एनकाउंटर से अलग है. क़ानून का शासन कायम रखना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है. किसी आरोपी की गिरफ्तारी, ट्रायल और फिर मुकदमा चलने के बाद सज़ा, यही क़ानूनी प्रकिया है. CJI ने पूछा कि आपने जो न्यायिक कमिटी बनाई है, क्या उसमें एक पूर्व SC जज और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को जोड़ने पर आप सहमत हैं?
तुषार मेहता ने जवाब देने के लिए कुछ वक़्त मांगा है.
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प्रशांत भूषण और संजय पारिख पेश हुए
PUCL की ओर से प्रशांत भूषण और संजय पारिख पेश हुए. राज्य सरकार पर न छोड़ने की मांग की. कहा कि कोर्ट स्वतंत्र जांच का आदेश दें. यूपी DGP की ओर से हरीश साल्वे पेश हुए. उन्होंने कहा कि यह केस हैदराबाद एनकाउंटर से अलग है. जब विकास दुबे जैसे गैंगस्टर से सामना हो तो पुलिस क्या करे? पुलिसवालों के भी मौलिक अधिकार हैं.
साल्वे ने कहा कि हम पुलिस फोर्स को यूँ ही हतोत्साहित होने के लिए नहीं छोड़ सकते.
कोर्ट की टिप्पणी
आप क़ानून का शासन कायम कीजिए. पुलिस फोर्स कभी हतोत्साहित नहीं होगी. हमें पता चला है कि इतने ज़्यादा मामले लंबित रहने के बावजूद उसे बेल पर छोड़ा गया और फिर उसने ये सब किया. हमें हर आदेश की डिटेल मुहैया करवाइए.