युक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को लेकर सुनवाई, हेल्थ मिनिस्ट्री ने एडमिशन देने से किया इंकार

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान युक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के भारत में एडमिशन मामले में सुनवाई होनी है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान युक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के भारत में एडमिशन मामले में सुनवाई होनी है.

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Sunder Singh
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file photo( Photo Credit : News Nation)

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान युक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के भारत में एडमिशन मामले में सुनवाई होनी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने वापस लौटे छात्रों को देश की किसी भी युनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन देने से मना कर दिया है. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने गुरूवार को सुप्रीमकोर्ट में कहा कि युद्ध की वजह से वापस हिंदुस्तान लौटे अंडर ग्रेजुएट मेडिकल स्टुडेंट्स को भारत के मेडिकल कॉलेज में एडजस्ट नहीं किया जा सकता. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरूवार को ही सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से दायर की गई याचिका के हलफनामें में कहा कि वापस लौटे छात्रों के लिए मंत्रालय ने कुछ अन्य विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है.

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मेडिकल एजुकेशन के मानक सर्वोपरि
आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कहा है कि भारत में किसी भी मेडिकल कॉलेज में ट्रांस्फर करना और किसी भी तरह का डिस्काउंट देना भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के प्रावधानों से बाहर है. अगर इस तरह का ट्रांस्फर किया जाता है तो यह नियमों के विरूद्ध जाता है जिससे चिकित्सा एक्ट के मानकों  पर गंभीर असर पड़ता है। आपको बता दें कि मंत्रालय ने इस बाबत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से इस संबंध में सभी स्तर पर बातचीत कर ली है. ये संस्था मेडिकल एजुकेशन के मामले में देश भारत की सबसे बड़ी नियामक संस्था है.

छात्रों के NEET एग्जाम में थे खराब नंबर
मंत्रालय के मुताबिक युक्रेन से लौटे छात्रों ने स्वीकार किया था कि उन्होंने युक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प इसलिए चुना था. क्योंकि भारत में NEET की परीक्षा में उनके नंबर बहुत खराब थे. आपको बता दें कि युक्रेन समेत कई देश हैं जहां कम नंबर के बावजूद मेडिकल एडमिशन में दाखिला आसानी से मिल जाता है. मंत्रालय ने कहा कि अगर वापस लौटे इन छात्रों को एडमिशन देने पर भारत में जिन छात्रों को सीट नहीं मिली वे लीगल एक्शन ले सकते हैं.

इंटर्नशिप का दिया गया विकल्प
दरअसल युद्ध क्षेत्र से वापस लौटे मेडिकल स्टुडेंट्स को भारतीय चिकित्सा संस्थान ने भारत की किसी भी युनिवर्सिटी में एडमिशन देने से मना कर दिया है. एनएमसी के मुताबिक कोविड प्रभावित देशों या फिर युद्धग्रस्त युक्रेन से लौटे सभी छात्रों के केवल अपूर्ण इंटर्नशिप की ही परमिशन दी गयी थी.  किसी युनिवर्सिटी या कॉलेज में एडजस्ट करने  के लिए कहा गया था.

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