अयोध्‍या मामले की सुनवाई लगभग आधी पूरी, जानिए हिंदू पक्षकारों ने क्‍या दी दलीलें

हिंदू पक्षकारों की ओर से धार्मिक ग्रंथों, विदेशी यात्रियों के लेख और पुरातात्विक सबूतों, राजस्व विभाग के रिकॉर्ड का हवाला दिया गया है.

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Drigraj Madheshia
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क्‍या आप जानते हैं अयोध्‍या का इतिहास, श्रीराम के दादा परदादा का नाम क्या था?

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर अयोध्या विवाद पर सोमवार से मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें रखनी शुरू कर दी हैं. राजीव धवन ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें रखनी शुरू की हैं. उनके साथ कपिल सिब्बल भी हैं. मामले की सुनवाई लगभग आधी पूरी हो चुकी है. इससे पहले कोर्ट ने 16 दिन तक हिंदू पक्ष की दलीलें सुनी थीं. हिंदू पक्ष की तरफ से रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा ने अपना पक्ष रखा था. आइए जानते हैं कि हिंदू पक्ष ने अब तक अपनी दलीलों में क्या कहा और सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर क्या टिप्पणी की.

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हिंदू पक्षकारों की ओर से धार्मिक ग्रंथों, विदेशी यात्रियों के लेख और पुरातात्विक सबूतों, राजस्व विभाग के रिकॉर्ड का हवाला दिया गया है. जिससे ये साबित हो सके विवादित ढांचे से पहले वहाँ भव्य राममन्दिर था. रामलला की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने महाभारत काल में महर्षि वेद व्यास द्वारा लिखे स्कंद पुराण का हवाला दिया.उन्होंने दलील दी कि इस पुराण में लिखा है कि सरयू नदी में नहा कर राम जन्मभूमि के दर्शन करने से पुण्य मिलता है.

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वैद्यनाथन ने जिरह के दौरान कई विदेशी यात्रियों की लिखी किताबों का ज़िक्र किया.वैद्यनाथन ने 1608 -1611के बीच अयोध्या की यात्रा करने वाले ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच का हवाला दिया.कहा- उन्होंने 'early travels in India" नाम की पुस्तक लिखी थी जिसमे भारत आने वाले 7 टूरिस्ट के संस्मरण थे. वैद्यनाथन ने कहा कि फिंच ने अपने लेख में वहां पर मस्जिद का कोई जिक्र ही नहीं किया.

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उन्होंने वहां पर सिर्फ़ जन्मभूमि का जिक्र किया और उसेध्वस्त स्थिति में बताया. वैद्यनाथन ने इसके साथ ही अयोध्या जाने वाले विदेशी यात्रियों जोसेफ टाइफेनथेलर, मोंटगोमरी मार्टिन ने भी स्थान को लेकर हिंदुओं की आस्था का ज़िक्र किया है. सी एस वैद्यनाथन ने डच इतिहासकर हंस बेकर की पुस्तक का हवाला दिया जिसके मुताबिक विक्रमादित्य के शासन के वक़्त 360 मंदिरों का निर्माण हुआ.मुस्लिम सत्ता आने के बाद उनमे कई को ध्वस्त किया गया. सबसे पहले जिस मंदिर को नष्ट किया गया, वो अयोध्या जन्मभूमि वाला मंदिर ही था.

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रामलला के वकील सीएसस वैद्यनाथन ने श्रीरामजन्मभूमि की प्रामाणिकता साबित करने के लिए 1854 में प्रकाशित गजेटियर का भी हवाला दिया.ब्रिटिश काल में शुरू किए गए गजेटियर वो सरकारी दस्तावेज है, जिनमे किसी इलाके की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक जानकारी होती है. उन्होंने कहा कि 1862 में पहली बार अयोध्या में अलेक्जेंडर कनिंघम के नेतृत्व पुरातत्व सर्वे हुआ. इसमें साफ कहा गया कि विवादित इमारत के हिंदू मंदिर के अवशेषों से बनाए जाने के सबूत हैं.

रामलला की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने विवादित ढांचे के नक्शे और फोटोग्राफ कोर्ट को दिखाए. उन्होंने कहा कि इन फोटोग्राफ से साफ है कि वो इमारत हिंदू मंदिर के 14 खंभों पर बनी थी. इन खंभों में तांडव मुद्रा में शिव, हनुमान जैसे तमाम हिंदू देवी देवताओं की आकृति बनी है. ऐसी इमारत को शरीयत के लिहाज से मस्ज़िद तो नहीं कहा जा सकता.

सुनवाई के दैरान अहम सबूत की तौर पर हिन्दू पक्षकारों ने 12वीं सदी के शिलालेख का हवाला दिया. हिन्दू पक्ष की ओर से पेश वकील ने कहा- पत्थर की जिस पट्टी पर संस्कृत का ये लेख लिखा है, उसे विवादित ढांचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था. इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है. साथ ही लिखा है कि ये विष्णु मंदिर में लगी थी. कोर्ट में इसके अलावा 1990 में ली गई तस्वीरें पेश कीं. इनके जरिए हिन्दू पक्ष ने दावा किया कि इन खंभों पर शिव, हनुमान, कमल और शेरों के साथ बैठे गरुड़ की आकृतियां हैं.

Source : अरविंद सिंह

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